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माझियों के छींनते अधिकार कहीं डूबा न दें भाजपा की नैया

माझियों के छींनते अधिकार कहीं डूबा न दें भाजपा की नैया
✍️ अंश बाथम
भोपाल:- लंबे समय से अपने संवैधानिक प्रदत्त हक और अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहा माझी समाज अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहा है गौरतलब है कि 12 जुलाई को राज्य स्तरीय निषाद राज सम्मेलन से माझी समाज में अपने हक अधिकारों को लेकर जिस तरह पैतृक रोजगार धंधों के छीनने से बेहद परेशान नजर आ रहा है, सरकार ऐसे ही समाज की अनदेखी करती रही तो निश्चित है कि सबको पार लगाने वाला चुनावों में महत्वपूर्ण निर्णायक भूमिका निभाने वाला माझी समाज के लिए वह दिन दूर नहीं जब भाजपा की नैया डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा, बहरहाल समाज में जमीनी स्तर पर चैतन्यता जागरूकता एकता की कमी साफ स्पष्ट दिखाई देती है जो सामाजिक सफलता के लिए हक और अधिकारों के लिए चिंता और चिंतन का विषय है, यह सच मानिए कि जिस दिन जमीनी स्तर मजबूत हो जाएगा निर्णय लेने में सक्षम हो जाएंगे मतदान का महत्व समझने लगेंगे " सूर्यास्त और माझी मस्त" में सुधार आएगा समझिए उस दिन से सरकार भी उसी की बनेगी जिस तरफ माझी समाज मतदान करेगा
"नज़रे बदलिये तो नजारे बदल जाएंगे
सोच बदलिये तो सितारे बदल जाएंगे कश्ती बदलने की जरूरत नहीं है दोस्तों
कश्ती के रुख को बदलिये तो किनारे मिल जाएंगे!!

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