
पति की मौत के बाद नर्क बनी ज़िंदगी — सहरसा की रूबी कुमारी की डीजीपी से इंसाफ की गुहार....
"पति के गुजर जाने के बाद मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी ज़िंदगी इस कदर अंधेरे में डूब जाएगी। अब तो जीना भी एक सजा लगने लगा है," ये दर्दभरे शब्द हैं सहरसा जिले के गौतम नगर की निवासी रूबी कुमारी के, जिन्होंने आज खुद को न्याय के लिए बिहार के डीजीपी तक गुहार लगाने को मजबूर पाया है।
रूबी कुमारी का आरोप है कि साल 2024 में पति की मृत्यु के बाद, उनके ही परिवार के लोग—खासतौर से पति के भांजे रजनीश मिश्रा और ससुराल पक्ष—लगातार उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं, उन्हें छेड़खानी, धमकियों, और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।
FIR दर्ज कराई गई, फिर भी कार्रवाई नहीं
पीड़िता ने प्राथमिकी संख्या 987/24 के अंतर्गत थाने में मामला दर्ज कराया था, साथ ही डायल 112 पर तत्काल सूचना भी दी थी। परंतु उनके अनुसार, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और रजनीश मिश्रा की आर्थिक पहुंच के कारण, प्राथमिकी से गंभीर धाराएं हटवा दी गईं।
“रजनीश मिश्रा हर महीने सूदखोरी से लाखों की वसूली करता है। पैसों की ताकत से उसने मेरी आवाज को दबा दिया,” रूबी ने मीडिया को बताया।
बेटी के सामने छींटाकशी, जमीन पर भी कब्जा
रूबी बताती हैं कि जब वे अपनी छोटी बच्ची को स्कूल ले जाती हैं, तो रास्ते में रजनीश मिश्रा द्वारा अश्लील टिप्पणियां की जाती हैं और गंदी नजरों से देखा जाता है।उनका दावा है कि ससुराल पक्ष उनकी जमीन को भी गुपचुप तरीके से बेचने की कोशिश कर रहा है, और उन्हें धमकाया जा रहा है कि वह विरोध न करें।मानसिक और शारीरिक अत्याचार की हदें पार हो रही है।"मेरे दो छोटे बच्चे हैं। एक बेटी गंभीर बीमारी से जूझ रही है। मैं मानसिक रूप से टूट चुकी हूं," उन्होंने कहा। रूबी कुमारी ने उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा है कि वे अपने शरीर के जख्मों के प्रमाण भी प्रशासन के समक्ष रखेंगी।
न्याय की गुहार — कब सुनेगा प्रशासन?
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंताजनक पहलू है कि अब तक न कोई गिरफ्तारी हुई है, न कोई ठोस कार्रवाई। क्या किसी विधवा की आवाज तब तक नहीं सुनी जाएगी जब तक वह आत्महत्या कर ले?
रूबी की पीड़ा केवल एक महिला की व्यथा नहीं है — यह प्रशासनिक सुस्ती और सामाजिक संवेदनहीनता का आईना है।
अब देखना यह है कि डीजीपी स्तर तक पहुंची यह गुहार क्या सहरसा पुलिस को जागृत कर सकेगी?या फिर रूबी कुमारी और उनके जैसे अन्य पीड़ितों की आवाज़ें यूँ ही फाइलों में दबकर रह जाएंगी?