logo

बिहार में पेयजल का महासंकट: दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी के लोग पी रहे तालाब का गंदा पानी, हालात बद से बदतर..

Darbhanga (राहुल चन्द्र): बिहार के उत्तरी जिलों में जल संकट ने त्रासदी का रूप ले लिया है। दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी के हजारों ग्रामीण आज भी शुद्ध पेयजल की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि लोग मजबूरी में तालाब और अन्य असुरक्षित, गंदे जलस्रोतों का पानी पीने को विवश हैं।

सरकार की बहुचर्चित ‘हर घर नल का जल’ योजना यहां पूरी तरह पस्त है, और गांव-गांव में लगे चापाकल भी दम तोड़ चुके हैं। दरभंगा जिले के जाले प्रखंड में तो स्थिति और भी भयानक है — यहां के गांवों में नल काम नहीं कर रहे, चापाकल सूख चुके हैं और जो दो-चार बचे हैं, उनमें भी बूँद-बूँद पानी टपक रहा है।

सहसपुर पंचायत में हाहाकार, लोग किलोमीटरों तक ढो रहे पानी

जाले प्रखंड के सहसपुर पंचायत में लोग रोज़ाना कई किलोमीटर दूर से सिर पर या साइकिलों पर पानी ढोने को मजबूर हैं। पंचायत के कई वार्डों में सभी चापाकल या तो सूखे पड़े हैं या खराब हो चुके हैं। जो चापाकल चालू हैं, उनमें भी सिर्फ नाममात्र का पानी निकल रहा है। लोग तालाब का गंदा और प्रदूषित पानी पीने पर मजबूर हैं, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाई, शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई असरदार कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी योजना सिर्फ कागजों पर चल रही है और ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की अधिकारियों को चेतावनी: जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो भड़क सकता है जनाक्रोश

ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि तुरंत टैंकरों से पानी की आपूर्ति शुरू की जाए, बंद पड़े नलों और चापाकलों की मरम्मत की जाए और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह जल संकट और विकराल हो जाएगा, जिसकी सबसे बड़ी मार गरीब और पिछड़े तबके पर पड़ेगी।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब तक आंखें मूंदे रहता है, या जनता का गुस्सा भड़कने के बाद ही कोई जागरूकता आती है। फिलहाल तो हालात चीख-चीखकर कह रहे हैं — बिहार के गांव पानी के लिए तरस रहे हैं।

51
4933 views