
धार्मिक कुरीतियों का परिशोधन जरूरी - कनकनंदी गुरुदेव
भिलूड़ा : वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुदेव ने शिवागौरी आश्रम गणेशपुरी में धर्मोपदेश देते हुए बताया कि धार्मिक कुरीतियों का परिशोधन जरूरी है। वर्तमान में मंदिर ,धर्मशाला, मूर्ति निर्माण ,पंच कल्याणक जरूर करना चाहिए परंतु इससे भी अधिक आवश्यक है ज्ञान प्रचार,बच्चों में संस्कार,स्वयं का निर्माण। उपर्युक्त कार्य भी संकीर्ण पंथवाद,मतवाद, संतवाद,ग्रंथवाद, जातिवाद, परंपरावाद से रहित होकर उदार,सहिष्णु,व्यापक, अनेकांतवाद- स्यादवाद,एकता , प्रेम की दृष्टि से करना चाहिए। इस अवसरप्रातः शिव गौरी आश्रम में गुरुभक्त दीपाली रोकड़िया द्वारा 21 पौधों का रोपण गुरुदेव व ससंघ के सानिध्य में किया गया।गुरुदेव ने बताया एक वृक्ष भी लगाना अपना ही नहीं पूरे विश्व के पर्यावरण की शुद्धता का एक नेक कार्य किया है । वृक्षों द्वारा पर्यावरण शुद्ध होता है जो पूरे विश्व के लिए हितकारी है। गुरुदेव स्वयं पर्यावरण प्रेमी लगभग 30 भाषाओं के ज्ञाता होने के साथ 400से अधिक ग्रंथों निर्माण कर वैज्ञानिकता का ज्ञान होते हुए भी बिना किसी आडंबर के साथ जंगल में निवास करना प्रकृति के साथ जीने का भाव रखते हैं और स्वयं भी अपने शिष्यों को प्रेरित करते हैं कि पर्यावरण सुरक्षा आपके स्वयं की सुरक्षा है ।गुरुदेव ने पर्यावरण पर कई ग्रंथ लिखे है। इस अवसर पर शिव गौरी आश्रम में गुरुभक्त दीपाली रोकड़िया द्वारा 21 पौधों का रोपण गुरुदेव व ससंघ के सानिध्य में किया गया। धर्मसभा में शिव गौरी आश्रम के शैलेन्द्र भट्ट ,सारिका भट्ट ,संजय एन दोसी,मैना दोसी, लक्ष्मी जोदावत ,खुशपाल जैन,सुधेश रोकड़िया, दीपाली रोकड़िया,कमलेश कुमार जैन,शीतल जैन ,ओमप्रकाश भरड़ा सहित श्रावक - श्राविकाएं उपस्थित थे।