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गुरुग्राम की बदहाल व्यवस्था पर सवाल, क्या यही असली तरक्की?


गुरुग्राम। आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में हर कोई बेहतर भविष्य और अधिक पैसे की चाह में अपने गाँव, कस्बा और पैतृक घर छोड़कर गुरुग्राम जैसे बड़े शहरों में आकर बस रहा है। लेकिन करोड़ों की चकाचौंध के पीछे यहां की मूलभूत समस्याएं बद से बदतर होती जा रही हैं।


एडवोकेट रिया सिंह ने गुरुग्राम की अव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस शहर में ट्रैफिक जाम, कमजोर ड्रेनेज सिस्टम और बारिश में शहर का ठप हो जाना आम बात बन गई है। थोड़ी सी भी बारिश में करोड़ों रुपए की संपत्ति और वाहन नष्ट हो जाते हैं।


उन्होंने कहा,
"सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी सालों से व्यवस्था सुधारने का दावा कर रहे हैं, लेकिन हालात गांव से भी बुरे हैं। यह कहानी सिर्फ गुरुग्राम की नहीं, बल्कि देश के लगभग सभी महानगरों की है।"


एडवोकेट रिया सिंह ने तंज कसते हुए पूछा:

  • क्या यही असली तरक्की है?
  • क्या यही नया जीवन है?
  • क्या यही महानगर कहलाने का मापदंड है?


उन्होंने कहा कि इन सवालों पर समाज और सरकार दोनों को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

"सोचने का विषय है कि क्या हम सिर्फ दिखावे के पीछे असल बुनियादी सुविधाओं से समझौता कर रहे हैं?"


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