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झारखंड में सहारा समूह पर 45 हजार करोड़ के जमीन घोटाले का आरोप, CID ने दर्ज की प्राथमिकी

रांची: सहारा समूह पर झारखंड में 45 हजार करोड़ रुपये के जमीन घोटाले का सनसनीखेज आरोप लगा है। विश्व भारती जनसेवा संस्थान के राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुमार कुशवाहा की शिकायत पर झारखंड पुलिस की CID शाखा ने सहारा समूह के कई वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी में सहारा पर निवेशकों से भारी राशि जुटाकर उसका दुरुपयोग करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने का आरोप है।

प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त:
CID ने सहारा इंडिया की उपाध्यक्ष स्वप्ना राय, जयब्रत राय, सुशांतो राय, ओपी श्रीवास्तव, संजीव कुमार, नीरज कुमार पाल, जितेंद्र कुमार वासनाव, श्यामवीर सिंह, अलख सिंह, पवन कपूर, तापस राय सहित अन्य को अभियुक्त बनाया है। आरोप है कि इन्होंने झारखंड और बिहार के लाखों निवेशकों से 45 हजार करोड़ रुपये जुटाए और इस राशि का उपयोग अन्य राज्यों में जमीन खरीदने में किया। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए इन जमीनों को कौड़ियों के दाम बेच दिया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना:
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सहारा की कोई भी जमीन सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेची जाएगी और बिक्री से प्राप्त राशि सेबी-सहारा रिफंड एस्क्रो अकाउंट में जमा होगी। लेकिन सहारा ने इन निर्देशों की अवहेलना करते हुए बेगूसराय में 28.39 एकड़ जमीन (मूल्यांकन 41.17 करोड़ रुपये) और बोकारो में 68.14 एकड़ जमीन (मूल्यांकन 61.33 करोड़ रुपये) को सस्ते दामों पर बेचकर राशि का निजी कार्यों में दुरुपयोग किया।

निवेशकों के साथ धोखाधड़ी:
CID की जांच में सामने आया कि सहारा ने फर्जी कंपनियों के जरिए जमीनों की बिक्री की और राशि को सेबी के खाते में जमा करने के बजाय अन्य कार्यों में खर्च किया। इससे लाखों गरीब निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

CID की कार्रवाई और जांच:
DGP अनुराग गुप्ता के निर्देश पर CID ने गहन जांच शुरू की और प्राथमिकी दर्ज की। इंस्पेक्टर नवल किशोर सिंह ने सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की है। झारखंड सरकार ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक जांच आयोग गठित करने की भी मंजूरी दी है।

निवेशकों में आक्रोश:
इस घोटाले से झारखंड के लाखों निवेशकों में भारी आक्रोश है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाया। निवेशकों का कहना है कि उनकी गाढ़ी कमाई सहारा की स्कीमों में फंस गई है और रिफंड प्रक्रिया बेहद धीमी है।

आगे की कार्रवाई:
CID ने अभियुक्तों को नोटिस जारी किया है और सहारा की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सहारा को निवेशकों के पैसे जल्द लौटाने के निर्देश दिए हैं। विश्व भारती जनसेवा संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नौशाद अली ने बताया कि निवेशक अब CID की कार्रवाई और कोर्ट के दबाव से अपनी राशि वापस पाने की उम्मीद कर रहे हैं।

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