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दिल्ली-एनसीआर में उबर के खिलाफ ड्राइवरों का बायकॉट अभियान: मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन

नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025: दिल्ली-एनसीआर में उबर के खिलाफ ड्राइवरों का बायकॉट अभियान आज जोर पकड़ चुका है। हजारों ड्राइवरों ने उबर की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने का फैसला किया है। इस अभियान को विश्व भारती जनसेवा संस्थान, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO), के प्रवक्ता नौशाद अली के नेतृत्व में समर्थन मिल रहा है। ड्राइवरों की शिकायतों में न्यूनतम किराया, झूठी शिकायतों पर ID ब्लॉक करना, और अन्य कई मुद्दे शामिल हैं। इस अभियान में सोशल मीडिया पर सक्रिय विक्की खरती, अमित कुमार, अमन, मदन, और कई अन्य संगठनों ने भी शिद्दत से हिस्सा लिया है।

अभियान की पृष्ठभूमि:
विश्व भारती जनसेवा संस्थान के प्रवक्ता नौशाद अली ने बताया कि उबर की नीतियाँ ड्राइवरों के लिए अन्यायपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, "ड्राइवर दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन उबर की ऊँची कमीशन दरें और यात्रियों की झूठी शिकायतों पर बिना सुनवाई के ID ब्लॉक करने की नीति उनकी आजीविका को खतरे में डाल रही है।" नौशाद ने यह भी उल्लेख किया कि चंडीगढ़ परिवहन विभाग ने हाल ही में कैब के लिए सरकारी किराया निर्धारित किया है, जिसे उन्होंने एक स्वागतयोग्य कदम बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उबर ड्राइवरों की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं करता, तो वे लाखों ड्राइवरों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर करने से नहीं हिचकेंगे।

ड्राइवरों की 14-सूत्रीय मांगें:
ड्राइवरों ने उबर के सामने निम्नलिखित मांगें रखी हैं, जो उनकी आजीविका और कार्यस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए हैं:
1.-न्यूनतम किराया: प्रत्येक राइड का न्यूनतम किराया 150 रुपये और प्रति किलोमीटर 25 रुपये हो।
2.-यात्री सत्यापन: सभी यात्रियों का आधार नंबर से सत्यापन अनिवार्य हो।
3.-मुआवजा और इलाज: दुर्घटना में ड्राइवर और यात्री के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा और घायल का इलाज खर्च उबर वहन करे।
4.-D ब्लॉक की समीक्षा: सभी ब्लॉक की गई ड्राइवर ID खोली जाएं और इंटरसिटी, एयरपोर्ट जैसी सेवाएं सभी के लिए उपलब्ध हों।
5.-निष्पक्ष सुनवाई: ड्राइवर का पक्ष सुने बिना कोई कार्रवाई न हो; दोषी यात्री पर 5,000 रुपये जुर्माना या खाता ब्लॉक हो।
6.-पारदर्शी कर: ड्राइवरों की आय पर TDS और GST का हिसाब पारदर्शी हो।
7.-GPS सुधार: GPS सिस्टम ठीक हो, ताकि सही दूरी (जैसे 50 किमी) दिखे।
8.-टोल और पार्किंग: टोल और पार्किंग शुल्क राइड में शामिल हो।
9.-कस्टमर केयर: हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में संवाद का विकल्प हो।
10.-स्थानीय कार्यालय: हर शहर में उबर का कार्यालय स्थापित हो।
11.-भेदभाव बंद: राइड आवंटन में भेदभाव और कमीशन आधारित रिजर्वेशन बंद हो।
12.-अतिरिक्त किराया: गर्मी में AC और ट्रैफिक जाम के लिए अतिरिक्त किराया मिले।
13.-नियमित बैठक: हर तीन महीने में उबर अधिकारियों और ड्राइवरों की बैठक हो।
14.-कैंसिलेशन पर जुर्माना: यात्री द्वारा दो कैब बुक कर एक कैंसिल करने पर प्रति किमी 100 रुपये जुर्माना लगे।

सोसलमीडिया और यूट्यूब का प्रभाव:
इस अभियान को सोशल मीडिया और यूट्यूब पर ड्राइवरों के हितों की आवाज़ उठाने वाले लोगों का भी जबरदस्त समर्थन मिला। विक्की खरती, अमित कुमार, अमन, और मदन जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों ने इस मुहिम को और बल दिया। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ड्राइवरों की समस्याओं को उजागर करने वाले वीडियो और पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिससे यह अभियान और व्यापक हुआ है।

चंडीगढ़ मॉडल की तारीफ:
नौशाद अली ने चंडीगढ़ परिवहन विभाग के सरकारी किराया निर्धारण को एक प्रगतिशील कदम बताया। उन्होंने कहा, "चंडीगढ़ ने दिखाया कि ड्राइवरों और यात्रियों के हितों में संतुलन बनाया जा सकता है। उबर को भी ऐसी नीतियाँ अपनानी चाहिए, जिससे ड्राइवरों का शोषण रुके।"

आगे की राह:
ड्राइवरों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उबर उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाता, यह बायकॉट अभियान जारी रहेगा। दिल्ली-एनसीआर में पहले भी उबर और ओला जैसी ऐप-आधारित सेवाओं के खिलाफ हड़तालें हो चुकी हैं। उदाहरण के लिए, अगस्त 2024 में 15 से अधिक यूनियनों ने दो दिवसीय हड़ताल की थी, जिसमें ड्राइवरों ने ऊँची कमीशन दरों और अनुचित नीतियों का विरोध किया था।

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