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बिहार बंद नहीं गुंडागर्दी का आयोजन: -अखिलेश मिश्रा

🚨 बिहार बंद नहीं, गुंडागर्दी का आयोजन! 🚨

आज राष्ट्रीय जनता दल और उनके तथाकथित "गठबंधन सहयोगियों" द्वारा आयोजित बिहार बंद एक बार फिर यह साबित करता है कि ये लोग लोकतंत्र के नहीं, अराजकता और भय की राजनीति के पुजारी हैं।

🔴 एंबुलेंस तक को रास्ता न देना,
🔴 आम राहगीरों, बाइक सवारों और ट्रक चालकों के साथ गाली-गलौज,
🔴 जगह-जगह लाठी भांजना, डराना-धमकाना,
🔴 और बंद के नाम पर गरीब जनता को तंग करना —

क्या यही है इनकी राजनीति? क्या यही है जनता की सेवा?

👉 सड़क पर कुछ लोग मजदूरी और काम की तलाश में निकलते हैं, उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
👉 छोटे दुकानदारों, रिक्शा चालकों और दिहाड़ी मजदूरों को इस बंद से आर्थिक क्षति हुई, जिसकी भरपाई कोई नहीं करेगा।
👉 लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि RJD समर्थकों को आम जनता की तकलीफ़ें देखने-सुनने में कोई रुचि नहीं होती — उन्हें सिर्फ सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने की जल्दी है, चाहे वह लाठी के दम पर ही क्यों न हो।

🛑 जबकि हम भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोकतांत्रिक मर्यादा के भीतर, जनहित और विकास के मुद्दों पर बात करते हैं।

👉 बिहार को अब चाहिए विकास की राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार और कानून का राज।
ना कि "तेल पिलाओ" और "लाठी घुमाओ" की सरकार!

अब समय आ गया है कि बिहार की जनता ऐसे उपद्रवियों को पूरी तरह नकारे
और सुशासन, विकास व राष्ट्रवाद की राजनीति को मजबूती से चुने।

अखिलेश मिश्रा
पूर्व जिला उपाध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा, समस्तीपुर

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