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स्कूल चलो अभियान: शिक्षा की ओर एक प्रेरणादायक पहल

वाराणसी - आराजी लाइन अंतर्गत ग्राम सजोई के लिए आज ऐतिहासिक दिन रहा, जब *समाज उत्थान सेवा समिति* और *प्राथमिक विद्यालय सजोए* के संयुक्त तत्वावधान में "स्कूल चलो अभियान" के तहत एक प्रेरणादायक रैली का आयोजन किया गया। यह रैली न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम थी, बल्कि समाज के उन वर्गों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास थी, जो अब तक शिक्षा से वंचित रहे हैं।
रैली का मुख्य उद्देश्य गांव के उन बच्चों को स्कूल से जोड़ना था, जो आज भी शिक्षा से कोसों दूर हैं। विशेष रूप से मुसहर, नट, धरिकर जैसी वंचित जातियों के बच्चों को लक्ष्य बनाते हुए, यह अभियान उनके माता-पिता में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए चलाया गया।
रैली की शुरुआत ग्राम सजोए के प्राथमिक विद्यालय से हुई, जिसमें स्कूल के सभी शिक्षकगण, संस्था के सभी कार्यकर्ता एवं ग्रामवासी उपस्थित रहे। पोस्टर-बैनरों और नारे लगाते हुए यह रैली पूरे गांव में निकाली गई। "बेटा-बेटी एक समान, स्कूल भेजें सब इंसान", "शिक्षा का उजियारा, हर घर हो हमारा" जैसे प्रेरक नारों से गांव की गलियां गूंज उठीं।
*समाज उत्थान सेवा समिति* के कार्यकर्ताओं ने विशेष रूप से उन इलाकों में जाकर संवाद किया, जहां के बच्चे अभी स्कूल से नहीं जुड़ पाए हैं। उन्होंने घर-घर जाकर माता-पिता को समझाया कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है, जिससे उनके बच्चे गरीबी, भेदभाव और सामाजिक असमानता की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं।
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने भी लोगों को संबोधित करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्कूल में मुफ्त शिक्षा, पुस्तकों, यूनिफॉर्म और मध्यान्ह भोजन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाती हैं, ताकि कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्कूल और संस्था मिलकर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।
यह रैली न केवल एक सामाजिक अभियान थी, बल्कि एक भावनात्मक आंदोलन भी था। गांव के बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं और बच्चों ने भी रैली में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कई परिवारों ने उसी दिन अपने बच्चों के नाम स्कूल में दर्ज कराने की इच्छा भी जताई, जो इस अभियान की सफलता का प्रमाण है।
अतः निष्कर्ष ये आया कि "स्कूल चलो अभियान" एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है, जो समाज के सबसे पिछड़े तबकों को शिक्षा से जोड़ने का माध्यम बन रहा है। ग्राम सजोए जैसे गांवों में इस तरह के प्रयास यह साबित करते हैं कि अगर संकल्प मजबूत हो और साथ में शिक्षा की लौ जलती हो, तो कोई भी बच्चा अंधकार में नहीं रहेगा।
शिक्षा सबका अधिकार है, और जब तक अंतिम बच्चा स्कूल नहीं पहुंचे, यह प्रयास जारी रहेगा।

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