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शिक्षा अधिकारियों ने अपने अधिकारो के लिया दिया ज्ञापन

झुंझूनू:-समस्त शिक्षकों एवं शिक्षा अधिकारियों के विभिन्न संगठनों द्वारा गत सरकार द्वारा मंत्रालय कार्मिकों को दिए गए अतार्किक आदेश को वर्तमान सरकार द्वारा दिनाक 02.07.25 को अपास्त किए जाने के ख़िलाफ़ मंत्रालय सवर्ग द्वारा पुन:लागू करवाने के कुत्सित प्रयासो के विरोध में शिक्षा अधिकारियों ने अपने अधिकारो के रक्षण के लिए एवं पूर्व की तरह व्यवस्था लागू करवाने के लिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया ।
शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि
राजस्थान राज्य के शिक्षक संगठन, जो 5 लाख शिक्षकों और शिक्षाधिकारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें अध्यापक से लेकर अतिरिक्त निदेशक तक सम्मिलित हैं, इस पत्र के माध्यम से राज्यभर में सेवारत शिक्षकों और शिक्षाधिकारियों की भावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। बीकानेर स्थित शिक्षा निदेशालय में अनुभाग अधिकारी के रूप में सहायक निदेशक, तथा ब्लॉक, जिला, एवं संभाग स्तर के अधीनस्थ कार्यालयों में सहायक निदेशक, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षाधिकारी जैसे पदों पर शिक्षाधिकारी विभागीय नियमानुसार पदस्थापित हैं। अन्य राज्यों में भी शिक्षक और शिक्षाधिकारी समान व्यवस्था के तहत विभागीय कार्यालयों में नियुक्त किए जाते हैं। साथ ही, केंद्रीय वि‌द्यालय, नवोदय वि‌द्यालय जैसे प्रतिनिधि शैक्षिक संगठनों में भी शिक्षाधिकारी उच्च कार्यालयों में निर्णायक भूमिकाओं में कार्यरत हैं।
वर्षों से सुस्थापित इस व्यवस्था के बावजूद, मंत्रालयिक संवर्ग के कार्मिक शिक्षकों और शिक्षाधिकारियों को दरकिनार कर उच्च अधिकारियों को सीधे पत्रावली संचालन की मांग करते हैं। पूर्व में तत्कालीन निदेशक द्वारा लिपिक वर्ग की मांग के अनुरूप एकपक्षीय कार्यविभाजन लागू किया गया था, जो मंत्रालयिक संवर्ग के वरिष्ठतम पदों में असंगत वृद्धि एवं अन्य कारणों से अप्रासंगिक और अतार्किक ठहराया गया। शासन द्वारा इसे अपास्त करने तथा नए सिरे से तार्किक कार्यविभाजन का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान राज्य के शिक्षक संगठन इस शासकीय निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हैं।
मंत्रालयिक संगठनों के चंद पदाधिकारियों द्वारा निहित स्वार्थों के चलते शिक्षकों के प्रति दुर्भावनापूर्वक वैमनस्यपूर्ण बयानबाजी कर इस शासकीय निर्णय का अनुचित विरोध किया जा रहा है। संदर्भित प्रकरण में निम्नांकित तथ्य विचारणीय हैं:-
1. वर्षों से सुस्थापित समन्वित व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ अनुचित है।
2. मंत्रालयिक संवर्ग में उच्च पदों की अत्यधिक वृद्धि के कारण उनकी इतनी संख्या में उच्चतर पदानुक्रम में नियुक्ति संभव नहीं है।
3. शिक्षक और शिक्षाधिकारी, जो शिक्षा सेवा का अभिन्न अंग हैं, के स्थानापन्न या उच्चतर पदों पर अधीनस्थ अथवा मंत्रालयिक संवर्ग को नियुक्त करना स्वीकार्य नहीं है।
ज्ञापन देने वाले शिक्षकों एवं शिक्षा अधिकारियों में प्रमोद आबूसरिया,प्रमेन्द्र कुल्हार,उमेद डूडी,रतिराम धीवा,मनोज झाझड़िया,मुकेश लाम्बा,नवीन गढ़वाल,कर्मवीर पूनिया,अशोक कुल्हारी,नीरज सिहाग,कुलदीप कुल्हारी,संदीप पूनिया ,सुरेश पायल,सुमन चौधरी,ममता यादव,कपिल अहलावत,सुनीता कंवर,शुभिता,राजबाला,भूपेंद्र मीणा,जयप्रकाश बुगलिया,दिनेश पुनिया ,नरेंद्र जांगिड ,राजकुमार सिहाग,शशिकांत,सहित सैकड़ो शिक्षक एवं शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।

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