
डॉ. सैमुअल हैनिमन होम्योपैथी के इस प्रकाश स्तंभ को विनम्र श्रद्धांजलि
*"मैं व्यर्थ नहीं जिया हूँ" –* डॉ. सैमुअल हैनिमन की अंतिम यात्रा
2 जुलाई 1843 की एक शांत सुबह थी, जब पेरिस की धरती पर एक महान आत्मा ने अंतिम सांस ली। यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं था – यह थे डॉ. सैमुअल हैनिमन, होम्योपैथी के जनक, जिन्होंने चिकित्सा की दुनिया को एक नई दृष्टि दी।
शुरुआत एक पीड़ा से
24 मार्च 1843 को डॉ. हैनिमन को ब्रोंकाइटिस हो गया। यह रोग धीरे-धीरे उनकी शक्ति को समाप्त करने लगा। लेकिन यह वही हैनिमन थे, जिन्होंने जीवन भर रोग से जूझते रोगियों को जीवनदान दिया था – अब वे खुद रोग के सामने खड़े थे।
छह हफ्तों तक उन्होंने अपना इलाज स्वयं किया – कभी ओपियम, कभी बेलाडोना, और फिर सल्फर जैसी होम्योपैथिक औषधियों से। ये वही औषधियाँ थीं जिनकी शक्ति उन्होंने जीवन भर परखी थी।
रोग की गहराई
उनकी बीमारी ने कई रूप लिए –
कठिन साँस लेना
पित्तीय अतिसार (bilious diarrhea)
बीच-बीच में बुखार
कमजोरी और बेहोशी की स्थिति
ओपियम उन्हें गहरी नींद, अवसाद और कब्ज के लिए दी गई।
बेलाडोना उनके बुखार और मानसिक भ्रम के लक्षणों के लिए चुनी गई।
सल्फर, उनके अनुसार, पुरानी बीमारियों की जड़ यानी "मiasm" पर काम करने वाली औषधि थी – एक तरह से आत्मा की गहराई तक पहुँचने वाली दवा।
जब हाथ कांपने लगे
जब उनकी शक्ति क्षीण होने लगी, तब उन्होंने अपनी पत्नी मेलानी और चिकित्सक डॉ. चात्रां को निर्देश दिए कि कैसे उनका इलाज करना है। उन्होंने आखिरी दम तक अपना "इलाज" खुद देखा – वह भी उन्हीं सिद्धांतों पर जिन पर उन्होंने जीवन समर्पित किया।
अंतिम शब्द – एक आत्मसंतोष की गूंज
2 जुलाई को, मृत्यु की चुप्पी से पहले, उन्होंने धीमी लेकिन गहरी आवाज़ में कहा –
"Non inutilis vixi" –
"मैं व्यर्थ नहीं जिया हूँ"।
यह एक ऐसे इंसान की आवाज थी जो जानता था कि उसने दुनिया को एक नई चिकित्सा प्रणाली दी है, लाखों लोगों को नई उम्मीद दी है।
शवयात्रा और सम्मान
पहले उनका अंतिम संस्कार Montmartre Cemetery में हुआ। लेकिन जब अमेरिका से उनके भक्तों ने चंदा इकट्ठा किया, तब उन्हें और सम्मान के साथ Père Lachaise Cemetery में पुनः दफनाया गया – एक भव्य समाधि के साथ, जैसा एक क्रांतिकारी को मिलना चाहिए।
हैनिमन की विरासत
उनकी मृत्यु एक अंत नहीं, एक आत्मिक जागृति थी। उन्होंने जो चिकित्सा दी – वह आज भी जीवित है। होम्योपैथी आज भी दुनिया भर में लोगों के दर्द का इलाज कर रही है।
🕯️ डॉ. सैमुअल हैनिमन – आपने सच कहा था... आप व्यर्थ नहीं जिए।
आपका हर शब्द, हर दवा, हर सिद्धांत आज भी लाखों जिंदगियों को छू रहा है।
होम्योपैथी के इस प्रकाश स्तंभ को विनम्र श्रद्धांजलि। 🌸
श्री आर के होम्योपैथी होस्पिटल सागवाड़ा संस्थापक डॉ रजनीश जैन