
भारत-इंग्लैंड टेस्ट: कप्तान गिल के शतक से भारत मजबूत, लेकिन इस मोर्चे पर क्यों है चिंता
बर्मिंघम में एजबेस्टन टेस्ट का पहला दिन क्रिकेट प्रेमियों के लिए जितना रोमांचक रहा, उतनी ही चर्चा भारत की प्लेइंग इलेवन को लेकर रही.
खेल से ज़्यादा बहस इस बात पर हो रही थी कि टीम इंडिया ने पहला टेस्ट गंवाने के बाद भी जसप्रीत बुमराह जैसे विश्वस्तरीय गेंदबाज़ को क्यों आराम दिया.
इसके साथ ही तीन बड़े बदलावों ने सबका ध्यान खींचा, जिसमें आकाश दीप, नितीश कुमार रेड्डी और वॉशिंगटन सुंदर को मौक़ा मिला.
इन सबके बीच मैदान पर मुक़ाबला संतुलित नज़र आया. पहले दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 5 विकेट खोकर 310 रन बना लिए थे.इंग्लैंड भी अपने प्रदर्शन से पूरी तरह निराश नहीं होगा. क्रिस वोक्स ने घर पर एक बार फिर शानदार गेंदबाज़ी की. उन्हें क़िस्मत का थोड़ा और साथ मिलता तो आंकड़े और बेहतर दिखते.
ब्राइडन कार्स और शोएब बशीर ने भी लगातार सटीक लाइन-लेंग्थ से गेंदबाज़ी की और भारत को खुलकर रन बनाने नहीं दिए.
शुभमन गिल की कप्तानी में यह सिर्फ़ दूसरा टेस्ट है और उनका लगातार दूसरा शतक भी. कल उन्होंने अपने संयम, कौशल और धैर्य से यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ़ नाम के कप्तान नहीं, बल्कि आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले खिलाड़ी हैं.
रवींद्र जडेजा के साथ उनकी 99 रन की साझेदारी ने चाय के बाद लगे दो झटकों को और गहराने से रोक दिया.
जब शुभमन गिल ने टॉस के बाद एलान किया कि जसप्रीत बुमराह इस टेस्ट में नहीं खेलेंगे, तो क्रिकेट जगत में हलचल मच गई. सिरीज़ में 0-1 से पीछे चल रही टीम से उसके सबसे घातक गेंदबाज़ को बाहर बैठाने के फ़ैसले पर सवाल उठने लगे.
विशेषज्ञों से लेकर पूर्व खिलाड़ियों तक ने इस निर्णय को 'जोखिम भरा' बताया. लेकिन गिल शायद पहले ही तय करके आए थे. जवाब शब्दों से नहीं, बल्ले से दिया जाएगा.
जब शाम को अपने शतक का जश्न मनाते हुए हेलमेट हवा में लहराया तो पूरा एजबेस्टन तालियों से गूंज उठा. यह सिर्फ़ 24 वर्षीय कप्तान का शतक नहीं था, यह उनकी सोच, संयम और साहस का प्रतीक था.
इंग्लैंड में कप्तान के रूप में लगातार दो शतक लगाने वाले वह मोहम्मद अज़हरुद्दीन के बाद दूसरे भारतीय कप्तान बन गए हैं.