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डॉ दीपा मनीष व्यास का लघुकथा संग्रह- आईना हँसता है

डॉ दीपा मनीष व्यास का लघुकथा संग्रह- आईना हँसता है

साहित्य अकादमी,मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग,भोपाल के सहयोग से प्रकाशित डॉ दीपा मनीष व्यास का लघुकथा संग्रह - "आईना हँसता है "में कुल 82 लघुकथाएं विभिन्न विषयों पर लिखी गई है|साहित्यकार डॉ दीपा मनीष व्यास के लघुकथा संग्रह 'आईना हँसता है "साहित्य की एक ऐसी लघुकथा विधा है जो साहित्य उपासकों को नई ऊर्जा प्रदान करती है |विभिन्न विषयों चिंतन,विचार और रचनाशील भावों को जमीनी स्तर पर तलाश कर उनमे गहराई से दृष्टि डालकर 'आईना हँसता है " संग्रह संजोया है सेवा ही धर्म के प्रेरणादायक भरे एवं कई लघुकथा के प्रसंगों से आईना हँसता है की सार्थकता सिद्ध होती है|कहते कि आईना कभी झूठ नहीं बोलता वो सत्य का दर्पण होता है|आईना हँसता के जरिए वैचारिक मंथन को सुखद चेतना की प्राप्ति होती है | नेतृत्व क्षमता ,स्वयं की प्रेरणा से कार्य करें ,मिलनसारिता ,विनम्रता,आशावादी ,प्रशंसा सबके सामने:आलोचना अकेले में,स्वयं नियम पालन में स्वयं कठोर व औरों के लिए थोड़ा नरम ,कर्मठ होना ,अपना विकल्प तैयार करना के बिंदुओं पर आईना हँसता है के जरिए लघुकथाओं के माध्यम से विस्तार से प्रकाश डालकर साहस और आत्मनिर्भर जैसे गुणों से मन में विश्वास के विचारों की ज्योत प्रज्ज्वलित की है।डॉ दीपा मनीष व्यास की बुआ सास पुष्पलता जी पाठक का का इन्तजार करने का कथन का फि प्रभावित करता हअ| मालवी मीठी बोली की यही तो विशेषता है - थारी किताब कदे आयेगी ?म्हारे थारी लिखियो अच्छो लगे | बुआ सास की इच्छा पूर्ण हुई उनके आशीर्वाद का ही ये फल है | भूमिका के अंतर्गत डॉ योगेंद्र नाथ जी शुक्ल( पूर्व प्राचार्य एवं साहित्यकार ) ने बड़ी अच्छी बात लिखी -यदि हम जीवन ,समाज,राष्ट्र के विशाल परिवेश से अलग होकर लेखन कर रहे,तो हम साहित्य का अभीष्ट नहीं प्राप्त कर पाएंगे | साहित्य मनुष्य के लिए अलौकिक आनंद की सृष्टि करता है |वही आशीर्वचन तहत डॉ पुरुषोत्तम दुबेजी ने -एक अर्थसम्पन्न शीर्षक भी लघुकथा को लघुकथा कहलाने की परिभाषा में रंग पैदा करता है | यही सब आईना हँसता में पढ़ने को मिला | प्रायः आज का हर लघुकथाकार सामाजिक विसंगतियों को परखने में दॄष्टि संपन्न हो चूका है | यही वजह कि आधुनिक लघुकथाएं आलोचनात्मक सहमति की हकदार भी होती जा रही है | बहुत ही गहराई की बात कही है | डॉ दीपा मनीष व्यास की लघुकथाओं में तनिक झाँके तो जिज्जी पात्र की कई लघुकथा में पात्र की भूमिका है | आईना हँसता है की बानगी देखिये - जिज्जी ने देखा टूटे फूटे सामान के बीच एक टूटा आईना रखा है उसने झपट कर उसे उठाया और दौड़कर झोपडी में पहुंची | रानू के सामने नाश्ता रखा,और खुद को आईने में देख इतराने लगी | आईने में नाश्ता करती हुई रानू को भी देख रही थी | आज उसे आईने में खुद की और छुटकी रानू की खुशियां दिख रही थी | वह रानू से बोली,'हो रे ,ये आईना तो हँसता भी है रे "| इस प्रकार की भावनाओं से ओतप्रोत कई लघुकथाएं संग्रह में समाहित है | मरणोपरांत,नया बस्ता,वापसी,सांवली सलोनी कठपुतली,मजबूरी आदि कई लघुकथा एक से बढ़कर एक है |शिक्षा प्रदान करने वाली लघुकथाएं संदेश परक रही।डॉ दीपा मनीष व्यास की कल्पनाशीलता ,शब्दों की गहराई से जीवन के कटु सत्यों का चित्रण अन्य लघु कथाओं में भी बखूबी से किया और सम्मानजनक जीने की प्रेरणा स्त्री पक्ष को दी है |आईना हँसता है लघुकथा संग्रह साहित्य जगत में अपनी पहचान अवश्य स्थापित करेगा व साहित्य उपासकों,फिल्म जगत ,टी वी सीरियलों में विषय वस्तु की मांग के शौकीनों के लिए ये लघुकथाएं मददगार साबित होगी। 82 लघुकथाओं का संग्रह साहित्य उपासकों के दिलों में अपनी पैठ अवश्य जमाएगा |हार्दिक बधाई |
प्रथम संस्करण -आईना हँसता है -2025
लेखिका -डॉ दीपा मनीष व्यास इंदौर
प्रकाशन -शिवना प्रकाशन सीहोर मप्र
मूल्य-240 /-रुपये
समीक्षक -संजय वर्मा 'दृष्टि '
125 ,बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला धार (म प्र )

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