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शायरी (Shayeri) "क्या लिखूं"

सोचता हूं एक ग़ज़ल लिखूं, गजल नहीं तो कविता लिखूं, कविता नहीं तो खत लिखूं। कुछ उन पर लिखूं, कुछ खुद पर लिखूं। फ़िर सोचता हूं क्या लिखूं? वह है ही इतने प्यारे उनके किस बात पर क्या लिखूं? हा कतल होते हैं उनके हुस्न से दुनिया वाले। कुछ जल-2 कर, तो कुछ अहे भर-2 कर। पर वह कातिल भी तो नहीं। अब उन पर मुकदमा भी क्या लिखूं? फ़िर सोचता हूं चलो खुद पर ही कुछ लिखूं तो अब उनके हुस्न के आगे खुद पर भी क्या लिखूं?
सोचता हूं एक ग़ज़ल लिखूं, कविता लिखूं या खत लिखूं।
--असलम बाशा (A. B.)

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