
पुरी रथयात्रा में भगदड़: श्रद्धालुओं की मौत से मचा कोहराम, प्रशासन पर उठे सवाल
उदय साहू
सीतापुर सरगुजा छतीशगढ
पुरी रथयात्रा में भगदड़: श्रद्धालुओं की मौत से मचा कोहराम, प्रशासन पर उठे सवाल
पुरी (ओडिशा), 30 जून 2025 — विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा इस बार श्रद्धा से ज्यादा शोक और सवालों के केंद्र में आ गई। रविवार तड़के गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास का नाम सामने आया है। हादसे ने पवित्र रथयात्रा को खून से रंग दिया और प्रशासनिक तैयारियों की पोल खोल दी।
कैसे हुआ हादसा?
भगवान जगन्नाथ का रथ जब उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों के काफी देर बाद गुंडिचा मंदिर पहुंचा, तो श्रद्धालुओं में दर्शन को लेकर बेचैनी बढ़ गई। जैसे ही रथ मंदिर के करीब पहुंचा, भीड़ बेकाबू हो गई और अचानक भगदड़ मच गई। हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते घायल हो गए।
पहले भी दिख चुके थे संकेत
हादसे से पहले भी शुक्रवार को रथयात्रा के पहले दिन 625 श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ चुकी थी, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। भीषण गर्मी, भारी भीड़ और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं ने पहले ही खतरे का संकेत दे दिया था, लेकिन प्रशासन अलर्ट नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री की माफी, बड़े अफसरों पर गिरी गाज
घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन माझी ने जनता से सार्वजनिक माफी मांगी और पुरी के कलेक्टर व SP को तत्काल हटा दिया।
चंचल राणा को नया कलेक्टर और
पिनाक मिश्रा को नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है।
इसके साथ ही DCP और बटालियन कमांडेंट को भी निलंबित कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि "जनता की आस्था के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।"
सवालों के घेरे में प्रशासन
रथयात्रा जैसे विशाल आयोजन में बार-बार अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही सामने आना अब गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त बल नहीं था
जलपान और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सीमित थी
रथ के आगमन में हुई देरी ने भीड़ की बेचैनी को और बढ़ा दिया
क्या सीखेगा प्रशासन?
हर साल लाखों श्रद्धालु रथयात्रा में भाग लेते हैं। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक संवेदनशील मानव प्रबंधन परीक्षा है।
अब समय आ गया है कि
आधुनिक भीड़ नियंत्रण तकनीकें,
आपातकालीन प्रतिक्रिया दल,
और पूर्व नियोजित शिफ्टिंग दर्शन व्यवस्था अपनाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोहराई न जाए।
तीनों मृत श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।
रथयात्रा अब प्रशासनिक सुधार की रथ बनकर लौटे — यही समय की मांग है।
उदय साहू
सीतापुर सुअरगुजा छतीशगढ़