
उत्तर प्रदेश की जेलों में सुधार की नई बयार: डीजी कारागार पी.सी. मीणा द्वारा गाजियाबाद और नोएडा कारागारों का निरीक्षण।
उत्तर प्रदेश की जेलों में सुधारात्मक कार्यों को गति देने तथा बंदियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (कारागार) पी.सी. मीणा ने गाजियाबाद और नोएडा कारागारों का विस्तृत निरीक्षण किया। यह निरीक्षण न केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया थी, बल्कि इससे यह संकेत भी मिला कि प्रदेश की जेलों को अब सुधारगृह की वास्तविक भावना के अनुरूप और बेहतर ढंग से संचालित किया जाएगा।
गाजियाबाद जिला कारागार पहुँचने पर डीजी पी. सी. मीणा का स्वागत रिज़र्व पुलिस लाइन गाजियाबाद के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर से किया गया। यह दृश्य न केवल उनके पद की प्रतिष्ठा को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि जेल प्रशासन अपने उच्चाधिकारियों के निरीक्षण को पूरी गंभीरता से ले रहा है।
डीजी कारागार ने सबसे पहले जेल के प्रशासनिक भवन में स्थित विभिन्न कार्यालयों का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यप्रणाली, अभिलेखों की संधारण विधि, सुरक्षा व्यवस्था, कर्मियों की उपस्थिति, और कार्य-निष्पादन की प्रक्रिया का सूक्ष्म अवलोकन किया।
उनका यह निरीक्षण यह स्पष्ट करता है कि अब कारागारों में काग़ज़ी खानापूर्ति के बजाय वास्तविक अनुशासन और जवाबदेही को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके पश्चात उन्होंने कारागार अस्पताल का निरीक्षण किया। यहाँ उन्होंने बीमार बंदियों से मुलाक़ात कर उनका हालचाल जाना और उनकी चिकित्सा सुविधा, दवाओं की उपलब्धता, तथा साफ़-सफ़ाई व्यवस्था की सराहना की।
डीजी मीणा ने यह भी स्पष्ट किया कि “बंदियों को केवल सज़ा नहीं, बल्कि सेवा और सहानुभूति भी मिलनी चाहिए। स्वास्थ्य उनका मौलिक अधिकार है और उसमें कोई कमी बर्दाश्त नहीं होगी।”
गाजियाबाद जेल में बंद बंदियों द्वारा प्रस्तुत संगीत और नृत्य कार्यक्रम ने सभी का मन मोह लिया।
डीजी मीणा ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा,
“सांस्कृतिक गतिविधियाँ केवल मनोरंजन नहीं हैं, ये आत्मिक शुद्धि और आत्म-विश्वास की पुनर्स्थापना का माध्यम हैं। जेलों में ऐसे कार्यक्रम बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास में अमूल्य योगदान देते हैं।”
निरीक्षण के दौरान पुस्तकालय और जेल पाठशाला का भी अवलोकन किया गया। डीजी मीणा ने देखा कि बंदियों को निरंतर शिक्षा दी जा रही है और पुस्तकालय में उपयोगी व नैतिक साहित्य की उपलब्धता है।
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि पाठशाला की मरम्मत व सुधार हेतु बजट स्वीकृत हो चुका है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों में और वृद्धि होगी।
डीजी मीणा ने बंदियों को परोसे जा रहे भोजन का निरीक्षण किया और उसकी गुणवत्ता को संतोषजनक बताया। यह भी निर्देशित किया गया कि भोजन में पौष्टिकता, स्वच्छता और समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा जाए।
गाजियाबाद जेल के अधीक्षक सीताराम शर्मा को इस निरीक्षण के दौरान विशेष रूप से सराहा गया। उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपने मुजफ्फरनगर के तीन वर्षीय कार्यकाल में जो अभूतपूर्व सुधारात्मक कार्य किए, वे आज भी प्रदेश भर में चर्चा का विषय हैं।
बंदियों के लिए कौशल विकास, नैतिक शिक्षा, आत्मनिरीक्षण, योग, नशा मुक्ति शिविरों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे अनेकों आयोजन उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व में संचालित कराए।
उनकी सोच रही है,
“सज़ा काटना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं, बल्कि जीवन में बदलाव लाना सबसे बड़ा मक़सद है।”
गाजियाबाद के अलावा डीजी कारागार ने नोएडा जेल का भी गहन निरीक्षण किया। यहाँ उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी कवरेज, बंदियों के रिकॉर्ड, रसोईघर, शौचालयों, और कर्मचारियों की कार्य-प्रणाली का गहराई से अध्ययन किया।
उन्होंने इस अवसर पर जेल अधीक्षक एवं अधिकारियों को कई सुधारात्मक सुझाव दिए, साथ ही यह भी संकेत दिया कि अब जेलों में सुधार कार्य सख्त अनुशासन और मानवीय दृष्टिकोण के संतुलन से किए जाएंगे।
डीजी कारागार पी.सी. मीणा का यह निरीक्षण महज़ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि भविष्य की कार्ययोजना का आरंभ है। उनकी कार्यशैली से यह संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश की जेलें अब सुधारगृह की भावना, शिक्षा और कौशल के केंद्र, और नैतिक पुनर्निर्माण के आश्रय बनेंगी।
उत्तर प्रदेश की जेलों में यह जो नई कार्यसंस्कृति आकार ले रही है, उसमें ऐसे अधिकारी, जो अनुभवी, मानवीय और सक्रिय सोच से लैस हैं, उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डीजी पी.सी. मीणा जैसे नेतृत्वकर्ता से उम्मीद की जाती है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश की जेलें सिर्फ़ "क़ैद की जगह" नहीं, बल्कि "कायाकल्प और जीवन पुनर्निर्माण की प्रयोगशालाएं" बनेंगी।
*नादिर राणा लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार मुजफ्फरनगर*।