
बिहार पुलिस की सराहनीय पहल...
अपराध और अपराधियों के बारे में लोगों से जानकारी माँगी...
बिहार पुलिस की सराहनीय पहल...
अपराध और अपराधियों के बारे में लोगों से जानकारी माँगी...
बिहार पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि वे अपराध की रोकथाम एवं अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को सहयोग दें।
इसके लिए आज के अखबारों में विज्ञापन छपा है। सूचना देने के लिए टाॅल फ्री नंबर(14432) दिया गया है। बिहार पुलिस ने यह भी वादा किया है कि सूचना दाता का नाम गोपनीय रखा जाएगा, हालाँकि इस मामले में पदाधिकारियों का रिकॉर्ड ठीक नहीं है। प्रखंड, अंचल, अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी शिकायत पर कार्रवाई की बजाय शिकायतकर्ता की जानकारी आरोपियों को साझा कर देते हैं।
हाल के महीनों मेें अपराधियों ने बिहार पुलिस पर हमले तेज कर दिए हैं, क्योंकि उन्हें न तो शासन से कोई डर है, न ही कोर्ट-कचहरियों से। और गवाहों की सुरक्षा का कोई प्रबंध सरकार की ओर से नहीं है। लगातार हमलों में बुरी तरह मार खा रही बिहार पुलिस की साख व धमक लगभग शून्य है।
इस देश के सुप्रीम कोर्ट ने कई बार सरकार को निदेश दिया है कि वह गवाहों की सुरक्षा का पक्का इंतजाम करे। अमेरिका में अपराध कम है क्योंकि वहां सरकार की ओर से गवाहों की सुरक्षा का भारी प्रबंध किया गया है। वहाँ सजा दर 93 प्रतिशत है। जापान में 98 प्रतिशत। बिहार में सजा की दर करीब 60 प्रतिशत है। इस राज्य मेें पहले सजा दर बहुत ही कम थी।
यदि सुप्रीम कोर्ट डी.एन.ए. टेस्टिंग, ब्रेन मैपिंग, पाॅलिग्राफिक आदि टेस्ट की खुली छूट जाँच एजेंसियों को दे दे तो देश में अपराध कम होगा। भारत को टुकड़े-टुकड़े करने की कोशिश में लगे देश तोड़कों के देसी-विदेशी संरक्षकों-जेहादियों का शीघ्र पता चल जाएगा। पर पता नहीं सुप्रीम कोर्ट क्यों यह अधिकार अपने पास दबा रखा है!
मानवीय आधार पर?
ब्रिटेन में वहां की सरकार ने मानवीय आधार पर ही शरणार्थी बनकर आए घुसपैठियों को शरण दे दी थी।अब वही घुसपैठिए आबादी बढ़ाकर ब्रिटेन
में इस्लामिक शासन कायम करने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुहल्ला-दर-मुहल्ला उनका कब्जा होता जा रहा है। वहाँ से गैर-मुस्लिमों को भगाया जा रहा है। भारत के कुछ नेता और बुद्धिजीवी जाने-अनजाने ब्रिटेन की पुनरावृति कर रहे हैं।
भारत में सबसे शर्मनाक स्थिति यह है कि पक्ष-विपक्ष के अधिकतर नेता आए दिन जाति, धर्म, मजहब, वोट या पैसे के आधार पर कानून तोड़कों को कानून की गिरफ्त से बचा लेने के लिए जी-जान लगा देते हैं। यदि जेहादी घुसपैठियों को भारतीय पुलिस पकड़ती भी है तो उसके पक्ष में ऐसे-ऐसे नामी-गिरामी वकील सुप्रीम कोर्ट में खड़े हो जाते हैं जिनकी प्रतिदिन की फीस 20 या 30 लाख रुपए है। इन्हें फीस कौन देता है? कहते हैं कि विदेशी फंडिंग से इस देश में चलने वाली कुछ संस्थाएं देती हैं।
ऐसी राष्ट्र विरोधी गतिविधि दुनिया के शायद ही किसी अन्य देश में संभव है! पहले जो भी हुआ हो, यदि अब बिहार पुलिस सूचना माँग रही है तो शांतिप्रिय लोग अपराधियों के बारे में सूचना देकर बिहार पुलिस की मंशा की अंतिम बार जाँच कर लें कि वास्तव में सूचना देने पर इस बार कार्रवाई होती है या नहीं। हो सकता है इस बार पुलिस अपने काम में सचमुच गंभीर हो।
पुनश्चः- बिहार में पुलिस की डायल-112 सेवा ठीक काम कर रही है। पर उसमें बेहतरी की जरूरत है। उस सेवा में पुलिस बल बढ़ाने की जरूरत है ताकि वह कहीं से पिट कर न लौटे।