कर्मचारियों की अनदेखी....तस्वीर बदल देगी.
कर्मचारियों की दरकिनारी..कहीं पड़ न जाए व्यवस्था परिवर्तन पर भारी.!अचरज का विषय है कि किसी भी सरकार या व्यवस्था के लिये राजकीय कर्मचारी रीढ़ की हडडी माने जाते हैं. .सरकार द्वारा निर्धारित उद्देश्य और लक्ष्यों को धरातल पर कार्यरत कर्मचारी ही परिलक्षित करते हैं।. सरकार और विभाग के उच्च अधिकारी एयर कंडीशनर कमरों में बैठ कर नीतियाँ बनाने का काम करते हैं। अंजाम तक पंहुचाने के लिये कर्मचारी दिन रात ,कड़ी धूप, तेज बारिश में अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं।. सरकार और अधिकारी सुविधाओं से लैस बस तमाशा देखते हैं और कर्मचारी हर लक्ष्य को हासिल करने के लिये जी जान लगा दिया करते हैं।. ..हिमाचल की वर्तमान परिस्थितियों को देखकर हैरानी होती है और दुख भी कि कर्मचारियों के दम पर सत्ता में आई सरकार इतनी संवेदनहीन और गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है. .प्रदेश के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणाएं भी दरकिनार की जा रही है।. .कारण स्पष्ट है या तो सरकार अनुभवहीन है या उच्च अधिकारियों के वश में है…खामी तो इतनी भयावह है कि अब हर कर्मचारी वर्ग अंदर ही अंदर इतना आक्रोशित है कि मौके की तलाश में है..इतिहास गवाह है कि सरकारी कर्मचारियों की अनदेखी हमेशा सत्ता पर भारी पड़ी है..शेष भविष्य के गर्भ में है…….समय बड़ा बलवान है..और ईश्वरीय सत्ता ही सर्वोपरि है. …