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ईरान-इजरायल-अमेरिका संघर्ष में 400 किलो यूरेनियम लक्ष्य अधूरा, विश्व ने ईरान की ‘विजय’ मानी

हाल ही में इजरायल और अमेरिका ने संयुक्त अभियान के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए सैन्य कार्रवाई की शुरुआत की थी। इस सैन्य अभियान का घोषित उद्देश्य ईरान के 400 किलो यूरेनियम के भंडार को नष्ट करना बताया गया था। लेकिन इस कार्रवाई में अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो सके।


आरोप हैं कि इस अभियान में इजरायल और अमेरिका ने ‘हल्के-फुल्के केमिकल’ और ‘हल्की विस्फोटक सामग्री’ का प्रयोग किया, जो प्रतीकात्मक बमबारी या सीमित सैन्य दबाव की तरह नजर आई। इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निर्णायक क्षति नहीं पहुँची।


ईरान ने इस कार्रवाई के बाद अमेरिका के खिलाफ ‘नया खाता’ खोलने की घोषणा कर दी। इसके जवाब में ईरान ने भी हमलों और रणनीतिक कदमों की श्रृंखला शुरू की, जिससे यह संदेश गया कि जंग में कोई ठोस सफलता इजरायल या अमेरिका के हाथ नहीं लगी।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सैन्य अभियान विश्व जनमत में अमेरिका और इजरायल की रणनीतिक ‘बुद्धिमत्ता’ पर सवाल खड़े कर गया है। ईरान ने इसे अपनी ‘जीत’ के रूप में प्रचारित किया है, और इसका असर आने वाले महीनों में पश्चिम एशिया की कूटनीति व सुरक्षा समीकरण पर पड़ सकता है।


विश्लेषण:

  • यह संघर्ष पूरी तरह परमाणु कार्यक्रम के विरुद्ध नहीं रह सका।
  • सीमित हमले और प्रतीकात्मक दबाव रणनीति ने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए।
  • ईरान ने राजनीतिक रूप से इस अभियान को अपनी मजबूती के प्रचार में बदल दिया।
  • अमेरिका-इजरायल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है।

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