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तीन महीने का राशन वितरण बना मुसीबत, ग्राहक परेशान – बैकुंठपुर में अव्यवस्था चरम पर

बैकुंठपुर (कोरिया)। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के नागरिकों को जून माह में ही जून, जुलाई और अगस्त—तीनों महीनों का राशन एक साथ देने की व्यवस्था की गई है। इस निर्णय से जहां सरकार की मंशा राहत पहुंचाने की रही, वहीं ज़मीनी स्तर पर यह व्यवस्था अव्यवस्था में बदलती नजर आ रही है।

बैकुंठपुर के बस स्टैंड स्थित 2 उचित मूल्य की दुकान में राशन कार्डधारकों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण डीलर को रात 10 बजे तक दुकान खुली रखनी पड़ रही है। ग्राहक सुबह 7 बजे से लाइन में लग जाते हैं, लेकिन राशन शाम के 4 से 5 बजे के बीच ही मिल पाता है। कई बार ग्राहकों को निराश होकर दूसरे या तीसरे दिन दोबारा आना पड़ता है।

💰 अलग-अलग सोसाइटी में खाली बोरी के अलग अलग दाम सोसाइटी के माध्यम से वितरित होने वाले राशन की खाली बोरी का मूल्य भी तय नहीं है। कुछ दुकानों में एक बोरी का ₹20, तो कहीं ₹30 तक वसूला जा रहा है। यह दरें मनमानी प्रतीत होती हैं और इस पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं दिखता।

🚫 बुनियादी सुविधाओं का अभाव राशन वितरण केंद्रों पर न तो बैठने की व्यवस्था, न टॉयलेट, न पानी – जिससे महिलाओं और बुजुर्गों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद नगर पालिका अध्यक्ष, सीएमओ और वार्ड पार्षदों को जानकारी होने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

📜 सोसाइटी विभाजन की मांग अव्यवस्था से परेशान वार्ड क्रमांक 1 व वार्ड क्रमांक 2 भट्टीपर के रहवासियों ने कलेक्टर कोरिया को आवेदन देकर अलग सोसाइटी संचालन की मांग की है जिसमें वार्ड वासियों का कहना है कि शासन के द्वारा राशन निशुल्क वितरण किया जा रहा है किंतु उन्हें राशन ले जाने के लिए ऑटो वाले को ₹100 तक देना पड़ता है।

🗣️ प्रशासन की प्रतिक्रिया कलेक्टर महोदया ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए खाद्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि जल्द समाधान किया जाए। खाद्य अधिकारी के अनुसार, “डीलरों को पहले ही तीन महीने का राशन दे दिया गया है, इसलिए वितरण पुराने समिति से ही करना होगा। लेकिन जल्द ही वार्ड 1 या वार्ड 2 में नया सोसाइटी संचालन प्रारंभ किया जाएगा।”

निष्कर्ष:
जहां एक ओर सरकार राहत पहुंचाने की कोशिश में है, वहीं स्थानीय स्तर पर व्यवस्था की कमी और प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण नागरिकों को भारी असुविधा हो रही है। ज़रूरत है कि ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए तुरंत प्रभावी कदम उठाए जाएं एवं जिन दुकानों में राशन कार्ड धारकों की संख्या अधिक है उसका विभाजन किया
जाएं।

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