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इटावा की घटना: क्या यही है “संस्कृति”?

इटावा की घटना: क्या यही है “संस्कृति”?

> "जब एक ब्राह्मणी महिला, एक यादव युवक को अपने मूत्र से 'पवित्र' करती है,
तो यह सिर्फ एक घटना नहीं – यह पूरी ब्राह्मणवादी व्यवस्था का नंगा सच है!"

👁️‍🗨️ ये घटना यह साबित करती है कि
ब्राह्मणवाद के लिए स्त्री भी सिर्फ जाति का औजार है,
न कि स्वतंत्र चेतना से भरी एक इंसान।

🤯 एक तरफ ये व्यवस्था कहती है –
“नारी देवी है, पूजनीय है।”
और दूसरी तरफ यही नारी जब ब्राह्मण होती है, तो उसे इतना ‘श्रेष्ठ’ मान लिया जाता है
कि वह किसी OBC युवक को अपवित्र मानकर मूत्र से 'शुद्ध' कर सकती है!!

🔴 यह घटना दो बड़े सच को उजागर करती है:

1️⃣ ब्राह्मणवाद महिला को भी सिर्फ जाति के दायरे में देखता है।
वह महिला हो या पुरुष – शूद्र का अस्तित्व उसके लिए अपवित्र है।

2️⃣ ब्राह्मणी महिला भी इस मानसिक जहर से इतनी भर चुकी है कि
वह खुद को ‘दैवीय’ और दूसरे को ‘गंदा’ समझने लगती है।
यह स्त्री मुक्ति नहीं, स्त्री के हाथों शोषण को जायज़ ठहराने वाली सोच है।
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🔥 अब सवाल उठता है – क्या हम चुप रहेंगे?

📢 ओबीसी समाज, खासकर यादव, कुर्मी, गड़ेरिया, मौर्य, पासी, नाई, बनिया, कोरी,
अब भी अगर इस मानसिक गुलामी को समझ नहीं पाया तो…
कल उसका बच्चा फिर किसी के मूत्र से ‘शुद्ध’ किया जाएगा।

✊ **अब लड़ाई सिर्फ जाति की नहीं है — यह लड़ाई सोच की है।

यह ब्राह्मणवाद के खिलाफ सामाजिक न्याय की अंतिम लड़ाई है।**
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📚 **पढ़ो – पेरियार को, ललई यादव को, अंबेडकर को।

और जानो कि जाति सिर्फ एक सामाजिक व्यवस्था नहीं — एक मानसिक बंदीगृह है।**

#इटावा_कांड #ब्राह्मणवाद_का_विरोध
#OBC_जागो #पेरियार_ललई_की_विचारधारा #मानवता_ही_धर्म
जय भारत, मानवीय मूल्यों से युक्त भारत 🇮🇳

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