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"इंदौर उपभोक्ता न्यायालय में कार्यप्रणाली की खामियां: जज की छुट्टियों के कारण मामलों का लंबा खींचाव और न्याय में देरी"

इंदौर के उपभोक्ता न्यायालय में कई उपभोक्ताओं को न्याय पाने में हो रही देरी चिंता का विषय बन गई है। आमतौर पर उम्मीद की जाती है कि उपभोक्ता मामलों का निपटारा 3 माह के भीतर हो जाना चाहिए, लेकिन यहाँ अक्सर यह अवधि पूरी नहीं हो पाती। जज की छुट्टियों और संसाधनों की कमी के कारण मामलों का निपटारा छह महीने या उससे अधिक समय में हो पाता है।

यह देरी न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन है, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करती है। जब जज छुट्टी पर चले जाते हैं या उनके अनुपस्थित रहने से कार्यवाही प्रभावित होती है, तो मामलों का लंबा खिंचाव स्वाभाविक है। उपभोक्ता अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते-करते थक जाते हैं और न्याय पाने की प्रक्रिया जटिल और जटिल हो जाती है।

यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित प्राधिकारी इस समस्या का संज्ञान लें और न्यायालय की कार्यप्रणाली में सुधार करें। अतिरिक्त जजों की नियुक्ति, डिजिटल कोर्ट सिस्टम का प्रयोग, और जज की छुट्टियों का बेहतर प्रबंधन इन समस्याओं के समाधान में मदद कर सकते हैं।

उपभोक्ताओं का अधिकार है कि उन्हें समय पर न्याय मिले। यदि इस दिशा में सुधार नहीं किया गया, तो उपभोक्ता न्याय प्रणाली में विश्वास कम होता जाएगा और यह सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी नुकसानदायक होगा।

**निष्कर्ष:**
इंदौर के उपभोक्ता न्यायालय में सुधार की आवश्यकता है ताकि न्याय का अधिकार सभी तक समय पर पहुंचे। जज की छुट्टियों और कार्यप्रणाली की खामियों को दूर कर, स्वच्छ और प्रभावी न्याय व्यवस्था का निर्माण किया जाना चाहिए।

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