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अलख निरंजन योगाश्रम केंद्र पर सत्संग वार्ता समपन्न।

*घर,परिवार,समाज,राज्य,देश में कलयुग के स्थान,कहां है।*

*अलख निरंजन योगाश्रम केंद्र पर सत्संग वार्ता समपन्न।*

छबडा:अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी,योगाश्रम पर सत्संग वार्ता हुयीं समपन्न।वार्ता में साधकों द्वारा प्रश्न रखा गया कि घर,परिवार,समाज,राज्य,देश में कलयुग के स्थान,कहां है।उत्तर देते हुए रामदयाल धाकड़ नें बताया कि प्रश्न बड़ा है लेकिन फिर भी में संक्षेप में इसका उत्तर देने का प्रयास करता हूं:जब द्वापर युग समाप्त हुआ और कलयुग नें भारत वर्ष में प्रवेश किया जब भारत में राजा परीक्षत का राज्य था,महाभारत के बाद पांडवों के स्वर्गारोहण के बाद भारत में राजा परीक्षित ही अंतिम राजा बनें थे उनके राज्य में कलयुग ने प्रकट होकर अर्द्ध रात्रि को राज द्वार पर आकर राजा से मिलने की बात कही गयी थी राजमहल में प्रवेश के बाद कलयुग ने राजा से उनके राज्य में रहने के लिए पांच स्थान मांगे उनमें जुवांघर,मदिरालय, वेश्यालय,हिंसा ओर,स्वर्ण इन स्थानों में रहने की इच्छा जताई थी,पहले चार कार्य राजा के यहां उस समय नही थे,केवल स्वर्ण यानी सोना प्रचुर मात्रा में उस समय था लेकिन राजा और प्रजा उस समय भी इनमें लीन नही थी,कलयुग के प्रवेश बाद और आज के समय मे इन पांचों वस्तुओं में कलयुग का निवास है ओर वर्तमान लोक तांत्रिक लोगो जिन्हें हम आधुनिक राजा कह सकते है और साथ मे अब आधुनिक युग की प्रजा ओर नोकर बन रहे लोग भी अब इनमें ही रमण कर रहे है,अब जो कर्म या कुकर्म हो रहे है यह युग प्रभावित ही है।जिस घर,परिवार,समाज और राज्य या देश के लोगों में इनमें से एक का भी आकर्षण होगा,वहां,शांति,करुणा,प्रेम,दान,दया,धर्म,सद्भावना,तप,सेवा, सुमरण,समर्पण जैसे आदर्श चरित्र वाले लोग अब इस युग में पैदा ही नही होगें।वर्तमान में यह गुण सभी में देर सवेरे,देखे जा रहे है।भौतिकता की आंधी से ओर आहार-विहार,आचार-विचार के बदल जानें से अब कलयुग के दुर्गुणों से कोई भी जीवात्मा दूर नही रह सकती है,राजा और प्रजा दोनों ही अपना धन उक्त चारों स्थानों पर ही अधिक धन वृद्धि के लिए लगायेगें ओर बेईमानी से अधिक धन कमाकर फिर अपनी पद- प्रतिष्ठा के लिए धर्म के स्थानों पर ही व्यय करेगें,जिससे धर्म स्थल भी राजनीति के अखाड़े बन पतित हो जायेगें,कलयुग में गोपनीय दान कोई नही करेगा,हर सजीव,निर्जीव वस्तु की बोली लगेगी जिससे धर्म के चारों चरणों का पतन हो जायेगा और व्यक्ति अंहकारी होकर क्रूरता की ओर बड़ेगें। संसार के लोग घीरे-धीरे शाकाहार का त्याग कर मांसाहारी होते जायेगें,सच नही सुनेगें,काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद में लिप्त होकर झूंठी प्रशन्नता के लिए काम करेगें,ज्यादातर लोग केवल स्वयं के लिए ही काम करेगें,परोपकार मात्र दिखावा ही होगा,हर व्यक्ति पैसे के लिए जीवित रहेगा,ज्ञानी का ज्ञान भी पैसा देकर खरीदा जायेगा।जो लोग सत्यमेव जयते पर चलेगें वो लोग परेशान रहेगें,लेंकिन जो जीवात्मा सत्य नही छोड़ेगा, तो, वो ही युग परिवर्तन पर स्वर्णिम युग के राजा-रानी ओर प्रजाजन होगें ओर कलयुग के अंत बाद सतयुग में प्रवेश के अधिकारी भी होगें।

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