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टबीटा फाटक पर बनाया जा रहा ओवरब्रिज, मजदूरों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़

खतौली। टबीटा फाटक पर स्थित रेलवे फाटक के ऊपर ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है, लेकिन निर्माण स्थल पर सुरक्षा के मानकों की भारी अनदेखी मजदूरों की जान पर भारी पड़ रही है। शनिवार को एक मजदूर प्रदीप ओवरब्रिज के पिलर नंबर चार पर काम करते हुए ऊपर से गिर गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। आनन-फानन में साथी मजदूरों ने उसे बेगराजपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। निर्माण कार्य देखने वाले इंजीनियर और ठेकेदार पर सवाल उठने लगे कि मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं सुनिश्चित की गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों और आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि पुल पर काम कर रहे मजदूरों के पास न तो हेलमेट थे, न सेफ्टी बेल्ट और न ही जालीदार सुरक्षा घेरे, जो ऊंचाई पर काम करने वालों के लिए अनिवार्य होते हैं स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण स्थल के ठीक बगल से ग्रामीणों का आना-जाना बना रहता है और यदि ऊपर से कोई वस्तु गिर जाए तो आम लोगों के ऊपर भी खतरा मंडरा सकता है। यही नहीं, पुल के नीचे या बराबर से गुजरने वाले राहगीरों को हर समय दुर्घटना का भय बना रहता है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब निर्माण स्थलों पर मजदूरों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया हो। इससे पहले भी कई जगहों पर निर्माण कार्य में लगे मजदूर हादसों का शिकार हो चुके हैं। सवाल यह है कि जब मजदूर ऊंचाई पर काम कर रहे होते हैं, तब उन्हें आवश्यक सुरक्षा उपकरण जैसे सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, सुरक्षा जाल, और प्रशिक्षित निगरानी टीम क्यों नहीं दी जाती? स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट अभिषेक गोयल ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, “यह लापरवाही नहीं, बल्कि मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ है। ठेकेदार और संबंधित विभाग को ऐसे निर्माण कार्य तब तक नहीं कराने चाहिए जब तक सुरक्षा मानकों को पूरी तरह से लागू न किया जाए।” ग्रामीणों और राहगीरों ने प्रशासन से मांग की है कि ओवरब्रिज निर्माण स्थल पर तुरंत सुरक्षा मानकों की समीक्षा की जाए और वहां सुरक्षा उपकरण, चेतावनी बोर्ड और रक्षक बैरियर लगाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचा जा सके। घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भले ही निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा हो, लेकिन जब तक मजदूरों की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं बनेगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। अब देखना यह है कि प्रशासन और निर्माण एजेंसियां इससे सबक लेती हैं या नहीं। श्रम कानूनों के अनुसार ऊंचाई पर काम करने वाले मजदूरों को विशेष सुरक्षा उपकरण प्रदान करना अनिवार्य है, लेकिन यहां इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। घटना के संबंध में जब निर्माण कार्य के इंजीनियर हुसैन से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि “घटना के समय मजदूर कार्य समाप्त कर नीचे उतर रहा था, तभी एक स्लीपर फिसल गया या पैर, इसका अभी पता लगाया जा रहा है। घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया है। वहां पर काम करने वाले मजदूरों ने नाम न आने की शर्त पर बताया कि ए ई राहुल मलिक वह जेई योगेश कुमार भी मजदूरों की सुरक्षा के प्रति सचेत नहीं है जब इस बारे में अस्सिटेंट लेबर कमिश्नर देवेश सिंह से बात करने के लिए फोन किया गया, तो उनसे बात नहीं हो सकी।

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