
बस्तर पुलिस ने सरकारी रसोईया को नक्सली बताकर मुठभेड़ में मार दिया
बस्तर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने एक सरकारी रसोइए, महेश कुड़ियाम, को नक्सली बताकर मुठभेड़ में मार दिया। महेश कुड़ियाम के परिवार का दावा है कि वह एक निर्दोष व्यक्ति था जिसके सात बच्चे हैं और उसे सरकार से नियमित रूप से पैसे मिलते थे।
मामला क्या है?
10 जून को, बस्तर पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व पार्क में हुई एक मुठभेड़ में सुधाकर और भास्कर जैसे बड़े माओवादियों सहित सात माओवादियों को मार गिराया गया था। हालाँकि, इन सात में से एक, **महेश कुड़ियाम**, के परिवार ने इस दावे को चुनौती दी है। उनके परिवार का कहना है कि महेश माओवादी नहीं था, बल्कि बच्चों को खाना खिलाने वाला एक **सरकारी रसोइया** था।
उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि महेश के बैंक खाते में सरकार हर महीने पैसे भी डालती थी, जो इस बात का सबूत है कि वह सरकारी कर्मचारी था। गाँव वालों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बाकी के छह लोग माओवादी थे और उन्हें अलग-अलग जगहों पर मारा गया था, लेकिन महेश कुड़ियाम के मामले में उनकी राय अलग
आगे क्या होगा?
यह मामला अब बस्तर पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठा रहा है। इस पूरी घटना की कहानी जल्द ही "@ranutiwari\_17" द्वारा बस्तर टॉकीज के चैनल पर साझा की जाएगी, जहाँ इस घटना के विस्तृत विवरण और आरोपों को सामने लाया जाएगा। यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या जाँच होती है और महेश कुड़ियाम के परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।