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भारतीय संस्कृति की मूल भावना का सृजन के रुप में योग

(मुंगेर, 21 जून 2025) भारतीय संस्कृति की मूल भावना का सृजन योग के रुप में हुआ है। अपने जीवन और कर्मों को सही दिशा प्रदान करना ही योग है। योग हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी सबल बनाते हैं। यह बातें सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुंगेर सदर के प्रखंड विकास पदाधिकारी आर के राघव ने कही। आगे उन्होंने कहा कि महाभारत में भी ज्ञान योग, कर्म योग और ध्यान योग पर बल दिया गया है। सजग और कृत संकल्प होकर योग करने से शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है।
इस अवसर पर मुंगेर विभाग के प्रचारक देवेन्द्र कुमार ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी का लक्ष्य व्यक्तित्व विकास और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल करना होता है और यह योग द्वारा ही संभव है। योग में आसन, प्रणायाम और ध्यान का महत्व है। उन्होंने कहा कि हँसना भी योग है। बच्चों को आहार और समय पर निद्रा का ध्यान रखना चाहिए। मोबाईल का उपयोग भी कम से कम हो इसका भी ध्यान रखें।
प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने कहा कि योग से हमें ऊर्जा की अनुभूति होती है जिसके बल पर हम जीवन में आगे बढ़ते हैं। योग से मन शांत, चित्त प्रसन्न एवं स्मरण शक्ति का भी विकास होता है। योग हमारी प्राचीन परंपरा है। यह शारीरिक एवं मानसिक विकारों को दूर कर स्वस्थ व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक है।
शारीरिक शिक्षक चन्द्रशेखर कुमार के कुशल निर्देशन में छात्र छात्राओं को भस्त्रिका, कपालभाती, अनुलोम-विलोम, उज्जायी प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, वज्रासन, शशकासन, मंडूकासन, ताड़ासन अर्द्धकटि चक्रासन, सूर्य नमस्कार आदि कराया गया।
शिक्षिका सुवर्णा घोष द्वारा देश भक्ति गीत 'इस धरती पर जन्म लिया है, इससे अपना नाता है।' प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महर्षि पतंजलि एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ वहीं समापन योग संकल्प एवं शांति मंत्र से हुआ।
इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी समिति के सदस्य कुंज बिहारी, विद्यालय के उपप्रधानाचार्य अमन कुमार सिंह, बालिका खंड की प्रभारी प्रधानाचार्या राखी सिन्हा, प्राथमिक खंड की प्रभारी प्रधानाचार्या सुजीता कुमारी, योग प्रमुख विधान कुमार सहित विद्यालय के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे।

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