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योग दिवस और भारत की अध्यात्म शक्ति

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है "योग कर्मसु कौशलम्" मतलब कर्म की कुशलता ही योग है ।



योग दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। यह दिन स्वयं के साथ जुड़ने, प्रकृति से एकाकार होने और आंतरिक शांति प्राप्त करने का अवसर है। योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उनके साथ मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण भी मौजूद रहे। इस वर्ष योग दिवस की थीम “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” रखी गई, जो धरती और मानव स्वास्थ्य के आपसी संबंध को रेखांकित करती है।

जब संयुक्त राष्ट्र (UN) में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा की गई, तो तारीख तय करने की जिम्मेदारी भारत पर थी। ऐसे में, 21 जून को चुनने के पीछे कई खास वजहें थीं:
बता दें, 21 जून उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य की किरणें सबसे ज्यादा समय तक धरती पर पड़ती हैं। ज्योतिष और आध्यात्म की दृष्टि से इस दिन का खास महत्व है।
इस खगोलीय और आध्यात्मिक महत्व के कारण ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुना गया।

भारत को "योग की जननी" के रूप में जाना जाता है। हर साल 21 जून को मनाए जाने वाले "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" की शुरुआत भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी। भारत में योग एक प्राचीन परंपरा है जो हजारों सालों से चली आ रही है। आज भी, भारत योग शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण का एक प्रमुख केंद्र है।

योग दिवस के अवसर पर, पूरे देश में बड़े पैमाने पर योग शिविरों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सरकारी संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, गैर-सरकारी संगठन और योग केंद्र सभी इसमें सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। प्रधानमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्ति इन आयोजनों में शामिल होते हैं, जिससे योग के प्रति जन जागरूकता और भी बढ़ती है।

भारत सरकार योग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल कर रही है, जिसमें योग शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना, योग प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना और योग पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है। योग अब सिर्फ आध्यात्मिक अभ्यास नहीं रहा, बल्कि यह स्वास्थ्य और कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

भारत में कई ऐसे प्रसिद्ध योग केंद्र और शिविर हैं जो दुनियाभर से लोगों को आकर्षित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

ऋषिकेश, उत्तराखंड: इसे "विश्व की योग राजधानी" के रूप में जाना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर कई आश्रमों और योग विद्यालयों का घर है, जैसे "परमार्थ निकेतन" और "शिवानंद आश्रम"।
यहां हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

द योग इंस्टीट्यूट, मुंबई सांताक्रुज में स्थित यह विश्व का सबसे पुराना संगठित योग केंद्र माना जाता है इसकी स्थापना 1918 में श्री योगेंद्र ने की थी ।

मैसूर, कर्नाटक:"अष्टांग विन्यास योग" के लिए प्रसिद्ध, मैसूर में कई प्रतिष्ठित योग संस्थान हैं,
जैसे के. पट्टाभि जोइस अष्टांग योग रिसर्च इंस्टीट्यूट ।

पुणे, महाराष्ट्र:बी.के.एस. अयंगर द्वारा स्थापित राममणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट पुणे में स्थित है, जो अयंगर योग शैली के लिए जाना जाता है।

मुंगेर, बिहार: बिहार स्कूल ऑफ योग मुंगेर में स्थित है,इसकी स्थापना 1964 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी जो योगिक जीवन शैली और एकीकृत योग प्रणाली पर जोर देता है। संस्थान ने योग को आधुनिक जीवनशैली में एकीकृत करने के लिए अनुसंधान पर काम करता है । योग अध्ययन में डिप्लोमा सहित कई कोर्स यहां उपलब्ध है ।

योगानंद सत्संग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया,रांची इसकी स्थापना 1917 में परमहंस योगानंद ने की थी सोसाइटी का अपना विश्वविद्यालय भी है ।

केरल: अपने आयुर्वेदिक उपचारों के साथ-साथ केरल में भी कई योग और वेलनेस सेंटर हैं जो समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

पतंजलि योगपीठ , हरिद्वार यह एक प्रमुख योग,आयुर्वेद और आध्यात्मिक केंद्र है । यह संस्थान स्वामी रामदेव के नेतृत्त में योग और प्रयाणाम को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है । इसकी स्थापना 2006 में हुई थी ।
इसके अलावें और भी योग संस्थान भारत में है जो योग और आध्यात्म से लोगों को जोड़ने के लिए स्थापित की गई हैं।

ये शिविर और केंद्र योग के विभिन्न पहलुओं को सीखने और अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं, चाहे वह हठ योग, राज योग, भक्ति योग या ज्ञान योग हो।

मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT

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