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वेटरनरी महाविद्यालय, नवानिया में पशुओं में परजीवी जनित रोगों के निदान पर राष्ट्रीय कार्यशाला एवं हेंड्स ओन ट्रेनिंग का आयोजन

वल्लभनगर। उदयपुर के नवानिया, वल्लभनगर स्थित वेटरनरी महाविद्यालय में पशुओं में परजीवी रोगों के निदान पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं हड्स-ऑन ट्रेनिंग का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं राष्ट्रीय कार्यशाला अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शिव शर्मा ने स्वागत उद्बोधन में उपस्थित इंडियन वेटरनरी पैरासिटोलॉजी एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्यों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, पशुचिकित्सकों एवं विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए परजीवी रोगों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इन रोगों की पहचान हेतु डायग्नोस्टिक तकनीकों के समुचित उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। परजीवी रोग आज भी पशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर हो सकते हैं। ये रोग न केवल पशु उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करते हैं, बल्कि पशुओं की वृद्धि दर, प्रजनन क्षमता एवं जीवनकाल को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।
वेटरनरी पेरासिटोलोजी एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) गोपाल भाड़कड़ ने जानकारी दी कि अधिकांश परजीवी रोग सब-क्लिनिकल होते हैं, जिनकी पहचान प्रारंभिक चरण में कठिन होता है। ऐसे में नवीन निदान तकनीकों का विकास अत्यंत आवश्यक है।
एसोसिएशन के महासचिव प्रो. (डॉ.) अनिश यादव ने कहा कि परजीवी रोगों से पशुपालकों को आर्थिक हानि होती है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) ए. संगरण ने इस आयोजन के लिए महाविद्यालय के डीन प्रो. शिव शर्मा का आभार व्यक्त किया और संस्था की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता तथा अतिथियों द्वारा एक पुस्तक एव विवरणिका का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभिषेक गौरव ने किया जबकि आभार प्रदर्शन डॉ. सनवीर ख़ातून, प्रभारी परासिटोलॉजी विभाग एवं आयोजन सचिव ने किया।
कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों द्वारा परजीवी जनित रोगों के निदान पर व्याख्यान दिए गए। जिनमें माइक्रोस्कोपिक तकनीक द्वारा मल, रक्त एवं त्वचा के नमूनों की परंपरागत एवं उन्नत माइक्रोस्कोपी जांच, मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स द्वारा रोगजनक परजीवियों की पहचान, इम्यूनोलॉजिकल विधि द्वारा परजीवियों के एंटीजन/एंटीबॉडी की पहचान शामिल थे।
इस अवसर पर अतिथियों एवं प्रतिभागियों द्वारा पेरासिटोलॉजी विभाग में एन्टोमोलॉजी म्यूज़ियम का अवलोकन भी किया गया।
कार्यशाला के उपरांत इंडियन वेटरनरी पेरासिटोलोजी एसोसिएशन की 5वीं कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें एसोसिएशन के विकास से जुड़े विभिन्न एजेंडों पर विस्तृत चर्चा की गई।
आयोजन सचिव डॉ. सनवीर ख़ातून ने जानकारी दी कि इस कार्यशाला में देशभर के वेटरनरी संस्थानों से लगभग 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिनमें वैज्ञानिक, शिक्षक, पशुचिकित्सक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी शामिल रहे।
इस अवसर पर एनाटॉमी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. हेमंत जोशी ने आईएएवीपी जनरल के लिए 10 हज़ार रुपये की धनराशि प्रोजेक्ट हेड के तहत प्रधान की गई।

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