
11वें अन्तर्राष्ट्रोग दिवस की पूर्व गतिविधियों के अंतर्गत आयुष विभाग फतेहाबाद द्वारा आज स्थानीय एम कॉलेज के देवराज बत्रा मेमोरियल कांफ्रेंस हॉल में योग सम्मेलन का आयोजन किया गया
11वें अन्तर्राष्ट्रोग दिवस की पूर्व गतिविधियों के अंतर्गत आयुष विभाग फतेहाबाद द्वारा आज स्थानीय एम कॉलेज के देवराज बत्रा मेमोरियल कांफ्रेंस हॉल में योग सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें इस बार के थीम" एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग " विषय पर विभिन्न क्षेत्रों से वक्ताओं ने अपने वक्तव्य दिए.
सर्वप्रथम बीके मोहिनी जी ने बताया कि शरीर हमें दिखाई देता है लेकिन अस्वस्थ होने का कारण मन की विकृति है, आत्मस्वरूप को भूलकर शरीर को ही सब कुछ मानने से गड़बड़ हो रही है। मन व आत्मा को परमात्मा से जोड़ें तो जीवन का शुद्ध व उत्तम रूप सामने आएगा।
प्रिंसिपल गुरचरण दास ने अपने वक्तव्य में बताया कि दुनिया में सभी चीजें द्वंद्वात्मक हैं ,सुख के साथ दुख गर्म के साथ ठंडा, अच्छाई के साथ बुराई जुड़ी है लेकिन योग से केवल जुड़ना या बढ़ना ही है। है।बस उत्तरोत्तर योग व उच्च स्तर की ओर जाना ही है।योग केवल एक दिन का उत्सव न होकर पूरे वर्ष का उत्सव बने।उन्होंने मोबाइल के अनावश्यक प्रयोग को विद्यार्थी जीवन में भारी अड़चन बताया।
महात्मा संतकुमार एडवोकेट ने बताया कि गीता जीवन जीने की कला सिखाती है।
उन्होंने मुख्य रूप से गीता में विश्व कल्याण की अवधारणा के बारे में 4 अध्यायों का जिक्र किया जिसमें प्रथम कर्मयोग जिसमें फल की लालसा के बिना निस्वार्थ कर्म करने को महत्व दिया गया है दूसरा ज्ञान योग जिसमें विवेक से काम लेना ,आत्म चिंतन व भेदवारहित कर्म करने पर महत्व दिया गया है तीसरा भक्ति योग जिसमें प्रेम देने की भावना विश्व शांति की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण संदेश है और चौथा राजयोग जिसमें मन की एकाग्रता व शांति का वर्णन किया गया है। भीतर शांति हो तो बाहर भी शांति ही होगी।
उन्होंने गीता में योग का जिक्र न होने की बात पर भी विराम दिया और बताया कि गीता के अध्याय 6 में क्रमशः 10,11,16 व 17वें श्लोक में योग ,आहार व निद्रा का वर्णन है।
प्रोफेसर विनोद कुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि हमें अपने प्रति सम्मान रखना चाहिए साथ ही कर्म भी उत्तम हों तो सोने पर सुहागा होता है । उन्होंने तनाव का मुख्य कारण बताया कि जो कार्य करने कि हम सोचते हैं वह कार्य हमारे मन के अनुरूप न हो तो हमें तनाव होता है। छात्रों में परीक्षा परिणाम अच्छा न हो तो तनाव हो जाता है लेकिन ये जीवन का अंत नहीं है बल्कि नए उत्साह से जीवन की शुरूआत करने का समय है। उन्होंने छात्रों को अच्छी विचार प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
खेल विभाग से एथलेटिक्स कोच श्री सुंदर ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब किसी कार्य को कुछ लोग मिलकर बेहतर ढंग से पूरा करते हैं उसे ही संगठन कहा जाता है और इसी से हमें संगठन का महत्व भी पता चलता है। आजकल एकल परिवार है और बच्चों की संख्या भी कम है। तो उनका खेलने का प्रकार बदल रहा है अकेलापन महसूस करते हैं अतः मैदानी खेलों व टीमवर्क का महत्व और भी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि अब राज्य स्तर , राष्ट्रीय स्तर व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के दौरान योग की उपयोगिता और भी प्रासंगिक हो गई हैं। योग के माध्यम से निर्णय क्षमता, आत्मविश्वास बढ़ता है और आंतरिक अंगों को हम सक्रिय कर सकते हैं अपनी शक्ति को बढ़ा कर और उत्तम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
आयुष विभाग से योग सहायक संजय ने एक्युप्रेशर की विधि से विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने के उपाय बताए। उन्होंने सिरदर्द, जुकाम, गले की समस्याएं, दांत दर्द से लेकर हृदय रोगों और श्वसन संस्थान के रोगों को एक्यूप्रेशर के माध्यम से हाथ के विशेष बिंदुओं को दबाने से रोगों को नियंत्रित करने में सहायक बताया।
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ॰प्रवीण शर्मा ने बताया कि नए युग में युवा पीढ़ी को योग के साथ जोड़ दें तो उनके जीवन में आशातीत परिवर्तन आएगा। उन्होंने बताया कि भीतर की प्राण ऊर्जा को जागृत करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद भी किया और योग सम्मेलन में कहे गए विचारों को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया।
योग सम्मेलन के दौरान डॉ॰ राजेश सरदाना ने कुशल मंच संचालन किया और श्रोताओं तथा वक्ताओं के बीच कड़ी के रूप में कार्य किया। उनके कुशल मन संचालन की सभी वक्ताओं और श्रोताओं ने प्रशंसा की।
कार्यक्रम में एन एस एस और एनसीसी के छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया तथा समीना बाटला ,तारिका नारंग, राजदीप कौर, प्रोफेसर प्रतिभा के अलावा अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे।