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जिला दण्डाधिकारी भिण्ड ने म.प्र. आपत्तिजनक हैजा विनियम के नियम के तहत जिला भिण्ड के संपूर्ण क्षेत्र को अधिसूचित घोषित किया

जलजनित रोगों एवं संक्रामक रोगों के फैलाव की संभावना के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से किया आदेश

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भिण्ड श्री संजीव श्रीवास्तव ने समस्त भिण्ड जिले में जलजनित रोगों एवं संक्रामक रोगों (हैजा, आंत्रशोध, पेचिश, पीलिया, मस्तिष्क ज्वर आदि) के फैलाव की संभावना के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से म.प्र. आपत्तिजनक हैजा विनियम 1983 के नियम 3 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुऐ जिला भिण्ड के संपूर्ण क्षेत्र को अधिसूचित घोषित किया है तथा यह आदेश दिया है कि अधिसूचित क्षेत्र में सार्वजनिक स्थानों, बाजारों, उपहार गृहों, भोजनालयों, होटलों, ढाबों में जनता के लिये खाद्य एवं पेय पदार्थ निर्माण कार्य कराने या उनके प्रयोग करने के लिये कायम रखी गई स्थापना में विक्रय या निर्मूल्य वितरण हेतु उपयोग में लाये गये स्थानों पर बासी मिठाईयाँ, खराब नमकीन वस्तुओं व सड़े-गले फलों, मांस, मछलियों, अण्डों, सब्जियों एवं दूषित खाद्य पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। ताजी मिठाईयों तथा नमकीन वस्तुएँ एवं फल, सब्जियों, दूध-दही, उबली हुई चाय कॉफी, शरबत, अण्डे, आइस्क्रीम, बर्फ के लड्डू, मांस, मछली आदि चूसने वाले पेय पदार्थ, विक्री हेतु खुले में नहीं रखे जायेंगे, उन्हें जालीदार ढ़क्कनों अथवा कांच के बंद शोकेश में अथवा पारदर्शी आवरण में ढ़ंककर इस प्रकार रखा जावेगा कि वे मक्खी, मच्छर आदि कीटाणुओं अथवा दूषित हवा से मानव उपयोग के लिये दूषित/अस्वास्थ्य कारक या अनुपयोगी न हो सकें। खुली नालियों, गटरों, पानी के गड्डों, कुडा-करकट, मलकुंड आदि गंदगी वाले स्थानों को स्वच्छ रखा जाये। नालियों एवं पानी के गड्डों की रोगाणुनाशक पदार्थ से नियमित सफाई की जाये। मक्खिया, मच्छर पैदा करने वाले स्थानों को स्वच्छ रखा जावे। कीटनाशक पदार्थों का छिडकाव किया जावे ताकि खाद्य पदार्थ को दूषित होने से बचाया जा सके। समस्त नगरीय निकाय अपने-अपने क्षेत्र में जलप्रदाय, टंकीयों की समय-समय पर नियमित सफाई तथा उचित मात्रा में क्लोरीन जल शुद्धीकरण के काम में लाई जावे। ग्रामीण क्षेत्रों में नाले, तालाब, अस्वच्छ कुओं, बावडियों के पानी को पीने के काम में नहीं लाया जावे, हैण्डपंप एवं ट्यूबवेल का पानी ही पीने के उपयोग में लाया जावे, ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्त्रोत की प्रति सप्ताह नियमित क्लोरीनेशन/ब्लीचिंग पाउडर डालकर शुद्धीकरण किया जाकर जल का उपयोग किया जावे। नालियों, घरों के गड्डों, पोखरों सार्वजनिक शौचालयों, संक्रमित वस्तुओं, कूडा-करकट अथवा किसी प्रकार की गंदगी को हटाते वक्त उक्त स्थान को स्वच्छ एवं रोग किटाणु उनका निवर्तन अथवा उसके संबंध में समुचित रोगाणुनाशक पदार्थ का समुचित उपयोग करने हेतु संबंधित क्षेत्राधिकारी आदेश दे सकेंगे। स्थानीय निकायों में कार्यपालन अधिकारी इस आदेश तथा विहित प्राधिकारियों द्वारा किये गये आदेशों का पालन तत्काल सुनिश्चित करेंगे।
धर्मशालाओं/होटलों/सार्वजनिक स्थनों/शैक्षणिक संस्थानों व धर्मार्थ संस्थाओं द्वारा अपने परिसर स्थित पेयजल टंकी का नियमित सफाई एवं शुद्धीकरण किया जावे। ठेलों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ जैसे कि बर्फ के लड्डू, पानी बतासे, फलों के रस जिसमें पानी का उपयोग होता है, उनमें स्वच्छ पेयजल का उपयोग किया जावे। खाद्य सुरक्षा अधिकारी इस संबंध में समय-समय पर आकस्मिक जांच करेंगे एवं विशेष ध्यान देंगे। स्वच्छ पेयजल हेतु क्लोरिन की गोलियों का वितरण किया जावे, समस्त चेम्बरों की सफाई कराई जावे, जितने भी सिवरेज एवं पीने के पानी के कनेक्शन टूटे हो उन्हें यथाशीघ्र सुधारा जावे। पानी की टंकियों की सेंपलिंग कराई जाये तथा जिले के समस्त खुले नालों की सफाई कराई जावे।
इस आदेश द्वारा प्रतिबंधित अवधि में घोषित अधिसूचना क्षेत्र या उसके बाहर कोई भी व्यक्ति इस आदेश के में उल्लेखित वस्तुओं तथा तैयार एवं पकाये हुऐ भोजन को ना तो लायेगा और ना ही ले जायेगा। इस आदेश द्वारा प्रतिबंधित अवधि में घोषित अधिसूचना क्षेत्र किसी भी बाजार, भवन दुकान, स्टॉल अथवा खाने-पीने की किसी भी वस्तु के विक्रय निमूल्य वितरण हेतु उपयोग में लाये जा रहे स्थानों प्रवेश करने, निरीक्षण करने उनमें विद्यमान ऐसी वस्तु की जांच पडताल करने तथा खाने-पीने की ऐसी वस्तुओं के विक्रय का मानव उपयोग अभिप्रेत है और जो पदार्थ दूषित या अनुपयुक्त है तो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 95 व 165 में उल्लेखित की गई रीति से पाई गई, अस्वास्थ्यकारक दूषित व अनुपयुक्त वस्तुओं को अधिग्रहण कराकर, हटाने व नष्ट करें या ऐसी नीति से निर्वहन करने के लिये जिससे इसे मानव उपयोग में लाये जाने से रोका जा सके, जनहित खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 26 (2), (4) के उल्लंघन पर उक्त अधिनियम की धारा 56 के तहत एक लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
संबंधित व्यक्ति/व्यक्तियों/संस्थाओं/प्रतिष्ठानों द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने पर संबंधित के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी।
अधिसूचित क्षेत्र में कार्यवाही हेतु जिले के समस्त कार्यपालिक दण्डाधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, जिले के समस्त चिकित्सा पदाधिकारी जो सहायक चिकित्सा अधिकारी के पद के नीचे के स्तर के न हों तथा शासकीय वैद्य, आयुर्वेदिक औषधालय, ऐसे आरक्षी पदाधिकारी जो प्रधान आरक्षक की श्रेणी से नीचे न हों, मुख्य नगर पालिका एवं नगर पंचायत अधिकारी भिण्ड, नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी एवं स्वास्थ्य निरीक्षक नगर निगम भिण्ड, खाद्य सुरक्षा अधिकारी को प्राधिकृत किया जाता जो पृथक-पृथक एवं आवश्यकतानुसार सामूहिक रूप से कार्यवाही करने हेतु सक्षम रहेंगे।

उपरोक्त उल्लेखित पदाधिकारियों को अधिसूचित क्षेत्र में किन्हीं भी नालियों, नालों, गटरों, पानी के गड्डों, पोखरों, नलकुंडों, संडासों/शौचालयों, मलकुंड, संक्रामक वस्तुओं, विस्तरों, कूड़ा-करकट, अथवा किसी भी प्रकार की गंदगी को हटाने, उक्त स्थानों को स्वच्छ और रोग किटाणुओं से उसका निवर्तन करने अथवा उसके संबंध में समुचित रोगाणु नाशक पदार्थ का समुचित उपयोग करने के लिये आदेश दे सकेंगे।
यह आदेश दिनांक 16 जून 2025 से प्रभावशील होंगे तथा आगामी 6 माह की अवधि तक या आगामी आदेश तक जो भी हो प्रभावशील रहेंगे।

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