क्या मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग का कैलेंडर वर्ष 15 जून की जगह 1 जुलाई से प्रारंभ नहीं किया जा सकता ? मध्य प्रदेश में पालकों की राय का कोई औचित्य नहीं है ?
ताल:- स्कूल शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश के कैलेंडर वर्ष पर मौसम की मार को देखते हुवे पुनर्विचार आवश्यक है मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष शैक्षणिक सत्र ओपचारिक रूप से एक अप्रैल से प्रारंभ किया जाता है जबकि वर्षों पूर्व शैक्षणिक सत्र विधिवत 1 जुलाई से ही प्रारंभ किया जाता था देश में जहां मौसम का स्वभाव अत्यंत चरम पर होता है। वहा शैक्षणिक सत्र की तिथियां केवल परंपरा नहीं बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को देखते हुवे तय होना चाहिए। वर्तमान परिपेक्ष्य में जहां गर्मी का तांडव अपने चरम पर होता है हमारे स्कूल भी उसी समय 15 जून से प्रारंभ किया जाना कहा तक उचित है क्या ऐसी स्थिति में स्कूलों के खोलने की तिथियों पर मंथन करना आवश्यक नहीं है ? भीषण गर्मी में पढ़ाई क्या बाल हित में है ? गर्मी की चरम स्थिति विशेष मई जून में अत्यंत कष्ट प्रद और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती है अत्यधिक तापमान में लू लगने का खतरा बढ़ सकता है उस स्थिति जब बच्चे 20 से 22 किलोमीटर की यात्रा सुविधा हीन बसों में यात्रा करते है अत्यधिक तापमान में जहां घरों में कुलर और ऐसी भी दम तोड़ रहे है वहां बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।स्कूल स्कूल कितने ही उच्च श्रेणी का हो बसों में कोई सुविधा नहीं रहती है जबसे स्कूल शिक्षा की कमान मिशन के हाथ लगी है नित नए प्रयोग किए जा रहे है। पूर्व के समय में भी शालाएं जुलाई से प्रारंभ होकर मार्च अप्रैल में परीक्षाओं का दौर चलता था और अप्रैल अंत में परीक्षा परिणाम घोषित होकर ग्रीष्म कालीन अवकाश मई जून में रहते थे इसका मूल उद्देश्य प्रचंड ग्रीष्म काल में छात्र छात्राएं अपने घर पर सुरक्षित रहे। इस संबंध में प्रबुद्ध जनों सहित पालकों को आगे आना होगा नहीं तो आने वाले समय में मासूम बच्चों का ऊपर वाला ही रखवाला है