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असम के कोकराझार में कलयुगी बाप की घिनौनी करतूत, नाबालिग बेटी से दुष्कर्म, गोंडा RPF ने किया गिरफ्तार

गोंडा/कोकराझार, 13 जून 2025: असम के कोकराझार जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। एक 42 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी 15 साल की नाबालिग बेटी के साथ बार-बार दुष्कर्म किया और गर्भवती होने पर उसका जबरन गर्भपात करवाया। इस जघन्य अपराध के बाद फरार हुए आरोपी को गोंडा रेलवे पुलिस (RPF) ने अपनी सूझबूझ से गिरफ्तार कर असम पुलिस को सौंप दिया। इस कार्रवाई के लिए कोकराझार पुलिस अधीक्षक पृथ्वीराज राजखोवा ने RPF पोस्ट कमांडर अनिरुद्ध राय को प्रशंसा पत्र प्रदान किया।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, कोकराझार जिले के एक गांव का रहने वाला आरोपी अपनी नाबालिग बेटी के साथ लंबे समय से दुष्कर्म कर रहा था। जब पीड़िता गर्भवती हुई, तो आरोपी ने उसे एक निजी अस्पताल में ले जाकर जबरन गर्भपात करवाया। पीड़िता की शिकायत पर कोकराझार थाने में आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपी फरार हो गया और गोंडा रेलवे स्टेशन के आसपास छिपा हुआ था।
असम पुलिस को लोकेशन के आधार पर आरोपी के गोंडा में होने की सूचना मिली। इस पर असम पुलिस ने गोंडा RPF से संपर्क किया। RPF पोस्ट कमांडर अनिरुद्ध राय ने अपनी टीम के साथ त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को स्टेशन परिसर से धर दबोचा। इसके बाद उसे असम पुलिस को सौंप दिया गया, जो उसे लेकर कोकराझार रवाना हो गई।
RPF की सराहना
इस संवेदनशील मामले में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के लिए कोकराझार पुलिस अधीक्षक पृथ्वीराज राजखोवा ने RPF पोस्ट कमांडर अनिरुद्ध राय और उनकी टीम को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। यह कार्रवाई पुलिस और RPF के बीच उत्कृष्ट समन्वय का उदाहरण है।
समाज को संदेश
यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि रिश्तों की पवित्रता को तार-तार करने वाली ऐसी घिनौनी मानसिकता के खिलाफ सभी को एकजुट होना होगा।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: समाज को नाबालिगों और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूक और सक्रिय रहना चाहिए। स्कूलों और समुदायों में 'गुड टच-बैड टच' जैसे जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना जरूरी है।

न्याय के प्रति विश्वास: पुलिस और RPF की इस त्वरित कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि अपराधी कितना भी छिपने की कोशिश करे, कानून उस तक पहुंचेगा।

परिवार में संवाद: माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खुला संवाद रखना चाहिए, ताकि बच्चे किसी भी तरह के शोषण की स्थिति में अपनी बात बता सकें।

कठोर कानूनी कार्रवाई: ऐसे अपराधों के लिए कठोर सजा और त्वरित न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि समाज में डर का माहौल बने।

यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि समाज को नैतिक मूल्यों को मजबूत करने और अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है। सभी को मिलकर ऐसी मानसिकता को जड़ से उखाड़ने का संकल्प लेना होगा।
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