
कटनी- फॉरेस्टर ग्राउंड के इकलाते पेड़ को भी विकास के नाम पर काट दिया गया | उपस्थित जनों ने इसका कड़ा विरोध किया जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही करने की अपील की
कटनी हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है यह दिन प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाता है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करता है इस दिन को मनाने की शुरुआत 1972 में की गई थी जिसके बाद से हर साल 5 जून को यह दिन मनाया जाता है आम जनों से अपील की जाती है कि वह एक पौधा अवश्य रस्सी और उसे बड़ा होने तक सहज जिससे आने वाली पीढ़ी पर्यावरण के बारे में समझे और जाने साथ ही लोगों से अपील की जाती है कि वह वृक्षों को काटने और काटने से बचे लोगों में जग्गू जागरूकता लाई वहीं कुछ दिन पहले पर्यावरण संरक्षित है तो जीवन सुरक्षित है इस संदेश के साथ इस दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया है
अभी कुछ दिन पहले ही कटनी शहर के बीच में फॉरेस्टर प्लेग्राउंड है जो निर्माण अधीन है पूरे फॉरेस्टर ग्राउंड में इकलौता शीशम का एक हरा भरा वृक्ष है जिसके नीचे ग्राउंड में भ्रमण करने वाले,खेलने वाले लोग वहां बैठा करते थे और उस छांव का आनंद लेते थे क्योंकि उस इकलौते पेड़ के अलावा छांव की कोई व्यवस्था नहीं थी पर विकास के नाम पर उसे इकलौते हरे भरे शीशम के वृक्ष को कटवा दिया गया!
प्रतिदिन ग्राउंड आने वाले युवा, वरिष्ठ जन जब सुबह पेड़ को कटा हुआ पाया तो सभी बहुत दुखी हो गए, और इसका कड़ा विरोध किया जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही करने की अपील की
पेड़ के समक्ष उपस्थित जनों का कहना है
फॉरेस्टर प्लेग्राउंड में रात के अंधेरे में एक शीशम के वृक्ष की निर्मम हत्या कर दी गई है शायद विकास की परिभाषा इसे ही कहते हैं एक पेड़ को व्यस्त होने में 5 से 10 साल लगता है इस आधुनिक युग में भी सभी संसाधन उपलब्ध है जिससे पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह लाया ले जाया जा सकता है फिर भी हम आधुनिकता के नाम पर पेड़ों की हत्या किए जा रहे हैं आखिर ऐसा क्यों ??? आज हम सभी खिलाड़ी जो फॉरेस्टर ग्राउंड में प्रतिदिन खेलने आते हैं घूमने आते हैं और अपना समय सुबह शाम ग्राउंड में देते हैं उनकी वेदनाओं को समझा और इस बात का कड़ा विरोध किया कि विकास के नाम पर ऐसी चीजों का विनाश ना हो जो इंसान के जीवन को जीवन देती है और आगे हम सभी ने निर्णय लिया है कि हम सभी लोग शासन प्रशासन की मांग करेंगे कि आगे से ऐसी कोई भी कार्य प्रणाली ना हो जिससे प्रकृति को कोई नुकसान हो और यही आशा हम सभी से करते हैं शहर वासियों से की प्रकृति को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित रखें