
पिथौरागढ़ के रई में जल उत्सव का आयोजन, सारा परियोजना से लौटेगा जल स्रोतों का प्रवाह
पिथौरागढ़, उत्तराखंड।
पिथौरागढ़ जिले के रई क्षेत्र में मंगलवार को जल उत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य पारंपरिक जल स्रोतों — नौले, धारों और नदियों — के संरक्षण और पुनर्जीवन को लेकर जन-जागरूकता फैलाना रहा। इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री विनोद गिरी गोस्वामी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि मुख्य विकास अधिकारी श्री दीपक सैनी (IAS) विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
यह आयोजन स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी (SARA) परियोजना के अंतर्गत किया गया, जिसके माध्यम से सूखते हुए पारंपरिक जल स्रोतों का अस्तित्व बचाने की पहल की जा रही है। परियोजना का उद्देश्य इन स्रोतों का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन कर उनका वास्तविक प्रवाह लौटाना है, जिससे स्थानीय लोगों को पुनः शुद्ध और स्थायी जल उपलब्ध हो सके।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि सारा परियोजना जलवायु परिवर्तन और मानवजनित दबावों से प्रभावित जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त प्रयास है। रई क्षेत्र को पायलट मॉडल के रूप में चुना गया है, जहाँ पर स्थानीय समुदाय की भागीदारी से संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी विनोद गिरी गोस्वामी ने अपने संबोधन में कहा, "जल ही जीवन है। पारंपरिक जल स्रोतों को संरक्षित करना केवल पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और भावी पीढ़ियों की सुरक्षा भी है।" वहीं सीडीओ दीपक सैनी ने जल स्रोतों के सतत उपयोग के लिए सामुदायिक सहयोग पर बल दिया।
जल उत्सव में स्थानीय स्कूलों के बच्चों, ग्रामीणों, स्वयंसेवी संस्थाओं और अधिकारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम में पौधारोपण और नौले की सफाई जैसे प्रतीकात्मक कार्य भी किए गए, जो समुदाय को इस अभियान से जोड़ने का सार्थक प्रयास रहे।
यह आयोजन एक संदेश के रूप में उभरा कि यदि हम मिलकर प्रयास करें, तो सूखते जल स्रोतों को फिर से जीवनदान दिया जा सकता है।