
ईसानगर ब्लॉक में वाउचर घोटाला! बिना हस्ताक्षर हुए करोड़ों के भुगतान, जिम्मेदार अधिकारी चुप
ईसानगर- लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश | ईसानगर विकासखंड में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है, जहां खंड विकास अधिकारी प्रदीप चौधरी के गैर जनपद तबादले के बाद भी ब्लॉक में सक्रिय रहते हुए बिना आवश्यक हस्ताक्षरों वाले वाउचरों से करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया। यह पूरा मामला अब क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के निशाने पर आ गया है।
चन्द्रसाखुर्द में मिट्टी-खड़ंजा कार्य का मामला
ग्राम पंचायत चन्द्रसाखुर्द में गौरिया डामर रोड से राजकिशोर के घर तक हाल ही में मिट्टी-खड़ंजा कार्य हुआ। इस कार्य के एवज में ₹9,97,943 की राशि 5 जून 2025 को चन्द्र किशोर मौर्य फर्म के नाम से भुगतान किया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिस वाउचर से भुगतान हुआ, उस पर न तो खंड विकास अधिकारी और न ही क्षेत्र पंचायत प्रमुख के हस्ताक्षर मौजूद हैं।
जबावदेही से बचते अधिकारी
जब इस मामले में खंड विकास अधिकारी प्रदीप चौधरी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन उठाकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
वहीं लेखाकार हितेंद्र श्रीवास्तव (NRP) ने भी फोन रिसीव नहीं किया।
ब्लॉक प्रमुख आलोक कटियार दीपू ने क्या कहा?
ब्लॉक प्रमुख आलोक कटियार दीपू ने कहा: “मेरे पास आने वाली हर फाइल को मैं गंभीरता से देखता हूं और हस्ताक्षर करता हूं। अगर इस वाउचर पर सिग्नेचर नहीं हैं तो यह बड़ी लापरवाही है, जो लेखाकार द्वारा हुई होगी। इसकी जांच करवाते है।”
जनता की राय: काम तो हुए, लेकिन पारदर्शिता नहीं
क्षेत्रीय लोगों ने कहा कि इस कार्यकाल में कार्य तो हुए है, पूर्व क्षेत्र पंचायत में सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनती थीं।
एक ग्रामीण ने कहा:
“पहले के कार्यकाल में दूसरे प्रतिनिधियों के बोर्ड लगाकर फोटो खिंचवाए जाते थे, और पेमेंट निकाल लिया जाता था। इस बार कम से कम कुछ काम तो हुआ है, चाहे गुणवत्ता 19-20 हो।”
कानूनी पहलू और आवश्यक हस्ताक्षर
उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, क्षेत्र पंचायत फंड से होने वाले किसी भी भुगतान वाउचर पर खंड विकास अधिकारी और ब्लॉक प्रमुख दोनों के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं।
बिना हस्ताक्षर के वाउचर अवैध माने जाते हैं और इस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
निष्कर्ष
ईसानगर ब्लॉक में कार्य प्रक्रिया और पारदर्शिता के अभाव में उनका महत्व संदेह के घेरे में है। जनता ने मांग की है कि ऐसे सभी भुगतानों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो।