साबका सैनिकों से सोशल सेवाएं लेना नहीं जानती सरकारें
होशियारपुर: 7 जून 2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर) यह आम बात है कि समाज कल्याण की बहुत सारी योजनाएं सरकारों द्वारा संचालित की जाती हैं लेकिन उनकी शत प्रतिशत सफलता सरकार को नहीं मिलती। ज्यादातर कलमी खानापूर्ति ही होती है और पैसे वा समय की बर्बादी होती है। यह ठीक उसी तरह होता है जैसे ट्रेन तो पटरी पर चलती है लेकिन बिना गार्ड और बिना टीटी के। भले ही हर स्कीम बड़े उम्दा तरीके से लागू की जाती हो लेकिन कहीं ना कहीं आला अधिकारियों की नजरों से ओझल होते ही उसकी रफ़्तार या तो धीमी हो जाती है या फिर उसका अस्तत्व ही खतरे में पड़ जाता है। इन परस्थितियों में खास निगरानी की जरूरत पड़ती है और यह कार्य शिक्षित साबका सैनिक ही कर सकते हैं। अस्पतालों में मरीजों की खज्जल खुआरी,तहसीलों में बहुत सारे ठगने वाले बैठे होते हैं उन्हें रोकने के लिए, तहसील का रख रखाब और साफ़ सफ़ाई की निगरानी वगैरा के लिए साबका सैनिक सेवाएं देने में सक्षम हैं। स्कूलों कालजों के रास्ते में होने वाली हुल्लड़बाजी पर रोक लगा सकते हैं। बाजारों में दुकानदारों वा ठेलों द्वारा आवाजाई में विघ्न डालने से रोक लगा सकते हैं। किसी भी दुर्घटना में तुरंत पहुंच कर प्रभावी कार्य कर सकते हैं। अनाज वितरण प्रणाली पर अपनी स्टीक पहरेदारी करके लाभकारियों को पूरा लाभ दिलाने में एहम रोल अदा कर सकते हैं। वातावरण की संभाल में हर कार्य को बहुत ही जिम्मेदारी से निभाने में निपुण होते हैं, सुनसान स्थानों पर हर साल लगाए जाने वाले पेड़ पौधों की देखभाल कर सकते हैं। मसलन सरकार के हर अदारे में हर विभाग में बहुत ही मामूली मानभत्त्ता पाकर बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी निभा कर सरकारों की मदद कर सकते हैं। और तो और स्थानीय चुनावी प्रक्रिया में भी अपनी सेवाएं देकर सरकारी कर्मचारियों का बोझ हल्का कर सकते हैं,BLO की ड्यूटियां भी निभा सकते हैं। खेतीबाड़ी विभाग में भी बहुत सारे ऐसे कार्य हैं जिन्हें कुशल साबका सैनिक बड़ी कुशलता से निभा सकते हैं। इस लिए जरूरत है उनको गले लगाने की, उनकी बांह पकड़ने की उनको मान सम्मान देने की। उन्होंने देश की सेवा की है ऐसे में समाज की सेवा का मौका उन्हें देना सरकारों का सराहनीय वा उचित कार्य होगा।