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पॉलिथीन मुक्त भारत सरकार के साथ हमारी भी जिम्मेदारी

पर्यावरण के लिए प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है.
पॉलिथीन मिट्टी में यदि खाली छोड़ दी जाए तो वह नष्ट नहीं होती बल्कि मिट्टी में दब जाती है। वह मिट्टी ही नहीं बल्कि जमीन की आत्मा को ही नष्ट कर देती है। मिट्टी की सारी उर्वरा शक्ति को खत्म कर देती है और जल की अवशोषण शक्ति को कम कर देती है। साथ ही मिट्टी में रहने वाले असंख्य कीड़ों को समाप्त करने का काम करती है।
प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान:
विघटन नहीं होना:
प्लास्टिक का विघटन नहीं होता है, जिससे यह वर्षों तक मिट्टी में रहता है और पर्यावरण को दूषित करता है.
जहरीले रसायन:
प्लास्टिक में मौजूद जहरीले रसायन मिट्टी और पानी को दूषित करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और पानी की गुणवत्ता घट जाती है.
वन्यजीवों पर प्रभाव:
जानवर गलती से प्लास्टिक खा लेते हैं और इससे उनकी मौत हो सकती है या वे घायल हो सकते हैं.
पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान:
प्लास्टिक प्रदूषण से नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होते हैं, और जानवर प्लास्टिक के मलबे में उलझ जाते हैं.
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
प्लास्टिक के उत्पादन और विघटन से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन बढ़ता है.
पानी की गुणवत्ता कम होना:
पानी में दूषित पदार्थ मिलने से पानी की गुणवत्ता कम हो जाती है, जिससे यह पीने और उपयोग के लिए असुरक्षित हो जाता है.
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ:
दूषित पानी पीने से लोगों में विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि त्वचा रोग, पेट दर्द, और अन्य बीमारियाँ.
जैव विविधता पर प्रभाव:
दूषित पानी से जल जीवों और वनस्पति को नुकसान होता है, जिससे जैव विविधता कम होती है.
कृषि पर प्रभाव:
दूषित पानी का उपयोग कृषि में करने से फसलों को नुकसान हो सकता है, जिससे भोजन की सुरक्षा कम हो जाती है.
निष्कर्ष:
प्लास्टिक और पानी का प्रदूषण पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करके और पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रयास करने से पर्यावरण को बचा जा सकता है.

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