logo

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी धर्म में आस्था रखना और प्रचार-प्रसार करना धर्मांतरण नहीं है, अनुच्छेद 25 के तहत यह अधिकार सुरक्षित है।

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी धर्म में आस्था रखना और उसका प्रचार-प्रसार करना धर्मांतरण नहीं है। यह फैसला अनुच्छेद 25 के तहत दिया गया है, जो धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इस फैसले के बाद, क्रिश्चियन समुदाय के लोगों को अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने से रोकना गैर-कानूनी होगा।

77
2292 views