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राष्ट्रीय स्थिति पर चिंतन

बहुत दिनों से हिन्दू विरोधी लोग हिन्दू धर्म, संस्कृति तथा मर्यादाओं का घोर अपमान करते आ रहे हैं।

दुर्भाग्यवश कई हिन्दू लोग भी सेक्युलरवाद के नाम पर उन दुष्टों के अंधभक्त होकर अपने हिन्दू धर्म के लिए घोर नुकसानदायक बन रहे हैं।

मैं अपने हिन्दू धर्म के समस्त बुद्धीमान तथा धर्मनिष्ठ लोगों (आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण) से करबद्ध निवेदन करना चाहता हूं कि सभी लोग अपने हिन्दू धर्म तथा इसके मान-सम्मान की सुरक्षा हेतु प्रचंड आध्यात्मिक साधना करके इन दुष्टों का संहार करें।

आज के हालात में मुझे भगवान परशुराम की छवि स्मरण आती है जिन्होंने अस्त्र-शस्त्र दोनों धारणा किया था।
बिना शास्त्र के अस्त्र दिशाहीन हो जाती है तथा बिना शस्त्र के शास्त्र अपमानित होती रहती है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

सभी हिन्दू धर्म प्रेमियों से मैं पुनः निवेदन करना चाहता हूं कि अपने हिन्दू धर्म तथा इसके मान-सम्मान की सुरक्षा हेतु अपने सभी संसाधनों द्वारा जी जान से (भागीरथी पुरुषार्थ)लग जाएं।
नीतिशास्त्र के अनुसार जिस समाज के अधिकांश लोग सकारात्मक सोच वाले तथा एकजुट होकर कार्य करते हैं उस समाज के विरुद्ध दुस्साहस करने की हिम्मत किसी में नहीं होती। यदि किसी ने हिम्मत कर भी लिया तो उसको मूंह की खानी परती है।
अपने समाज के भटके हुए लोगों को उनके मानसिक शुद्धीकरण की प्रक्रिया भी तीव्र गति से करनी होगी।

"मैं,मेरी प्रौपर्टी, मेरा परिवार तथा मेरा स्वार्थ" की धरातल से ऊपर उठकर कीर्तिस्तंभ स्थापित करना होगा।

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