भक्ति गीत
लावणी
छंदाधारित गीत
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दूर-नहीं करना चरणों से,
प्रभुपग को शेरा-वाली।
तड़प रहा मन मछली जैसा,
दर्श-बिना खप्पर-वाली।।
1-
प्यास बुझे प्यासे नैनों की,
बूँद-दया की जब पायें।
भूख मिटे मेरी जन्मों की,
भक्ति मेघ मनमें छायें।।
डूब रही है जीवन नौका,
पार-लगाओ माँ काली।
तड़प रहा मन------------
2-
नहीं जानता पूजा विधि माँ,
ज्ञानहीन बेटा तेरा।
ध्यान नहीं लगता जप-तप में,
दयावान जननी मेरा।।
और-नहीं तड़पाओ सुतको,
सूख रही जीवन-डाली।
तड़प रहा मन--------------
3-
पाप-धूलि से दूषित हूँ मैं,
धर्म-नीर से नहलाओ।
मार्ग-धर्म का भूल गया मैं,
आकर मुझको बतलाओ।।
टूट रहा है धीरज मेरा,
आजाओ वीणावाली।
तड़प रहा मन-------------
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प्रभुपग धूल