
ईमान छोड़कर शादी और फिर जनाज़े का इंकार — बरेली शरीफ में एक इबरतनाक वाक़िआ
बरेली शरीफ (उत्तर प्रदेश):
शहर के मशहूर म
ईमान छोड़कर शादी और फिर जनाज़े का इंकार — बरेली शरीफ में एक इबरतनाक वाक़िआ
बरेली शरीफ (उत्तर प्रदेश):
शहर के मशहूर मोहल्ले ज़खीरा में एक ऐसा वाक़िआ पेश आया है जो न सिर्फ़ समाज बल्कि शरीअत के नजरिए से भी गहरी सोच का मुतालबा करता है। जखीरा, बरेली, उत्तर प्रदेश की एक मुसलमान लड़की, जिसने तक़रीबन दो साल पहले कोहरापीर, बरेली, उत्तर प्रदेश के एक गैर-मुस्लिम लड़के से हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक़ शादी कर ली थी, अब उसके इंतेक़ाल के बाद जनाज़े की नमाज़ और दफ्न के लिए भी कोई तैयार नहीं।
रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर लड़की को शहर के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत की वजह डायरिया बताई जा रही है, लेकिन कुछ लोगों की तरफ से इसमें शक भी जताया जा रहा है।
मगर मसला सिर्फ मौत का नहीं, बल्कि उसके बाद उठने वाले शरई और समाजी सवालों का है।
जब घरवालों ने उसका जनाज़ा मस्जिद ले जाने की कोशिश की तो मोहल्ले की मस्जिद कमेटी ने इंकार कर दिया। नमाज़े जनाज़ा तो दूर, मस्जिद से लाया गया पलंग भी वापस ले लिया गया। किसी दूसरी मस्जिद में ले जाया गया, मगर वहाँ भी जैसे ही मामला सामने आया, वैसी ही सख़्ती से इंकार कर दिया गया।
दारुल इफ्ता, दरगाह आला हज़रत बरेली शरीफ से राब्ता किया गया, जहां से वाज़ेह शरई हुक्म दिया गया कि:
> _"अगर कोई मुसलमान लड़की अपने इख्तियार से गैर-मुस्लिम से गैर-इस्लामी तरीके, मसलन हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ले, और इस पर कायम रहे, तो वह दायरा-ए-इस्लाम से बाहर समझी जाएगी। ऐसी सूरत में उसकी नमाज़े जनाज़ा नहीं होगी, न ही उसे मुस्लिम कब्रिस्तान में दफ्न किया जाएगा।"_
इस फतवे के बाद न सिर्फ़ रिश्तेदार बल्कि मोहल्ले वाले भी जनाज़े में शरीक होने से इनकार कर रहे हैं। न जनाज़ा पढ़ा जा रहा है, न दफ्न की जगह मिल रही है। लड़की की लाश घर में पड़ी है, और सब ग़ौर कर रहे हैं कि आगे क्या होगा।
यह वाक़िआ हम सबके लिए इबरत है।
जब ईमान को दाव पर लगाकर दुनिया की चंद खुशियों के पीछे भागा जाता है, तो न अंजाम अच्छा होता है और न आखिरत। ऐसे फैसले न सिर्फ दुनिया में जिल्लत लाते हैं, बल्कि मय्यत के बाद की इज्ज़त भी जाती रहती है।