बात
बात की महत्ता को अगर व्याख्यित करने लगे तो बहुत सारी बातें कम पड़ने लगेगी/ वह बात ही थी जिसे दुर्योधन के हृदय को आघात पहुंचकर महाभारत की संरचना कर दी / दीर्घकाल तक चलने वाली मित्रता भी एक बात के कारण ही समाप्त हो जाया करती है / बात देखने में छोटी लगती है परंतु जब बात हृदय पर आघात करने पर आ जाती है तो इसके बड़े प्रतिकूल परिणाम संसार में परिलक्षित होते दिखाई देते हैं/ बात दो शब्दों का समावेश नहीं अपितु भावनाओं का ऐसा ज्वार होता है जो भयंकर प्रभाव डालता है/ बड़े-बड़े द्वेष तथा झगड़े की जब जड़ों में जाया जाता है तो वहां भी एक बात को ही आधार पाया जाता है तथा वह साधन जो इन झगड़ों को एक सुनिश्चित निवारण की ओर ले जाता है वहां भी बात ही मिलती है/ अब यहां दो नारियों के परस्पर की जाने वाली बात भी बात ही होती है/ जिस बात में समय का भान दोनों नारियों को नहीं रहता / शाम के समय चौपाल पर खड़े नवयुवकों के मध्य वैचारिक आदान-प्रदान भी बात से ही होता है / बड़े बुजुर्गों की हुक्के पर बातचीत भी बात से ही आगे बढ़ती है / स्पष्ट शब्दों में अगर कहा जाए तो बात एक ऐसा साधन है जो किसी वैचारिक भाव को मार्ग प्रदान करती है / कभी-कभी बात न करने के कारण बात समाप्त हो जाती हैं / क्योंकि बात कौन पहले करें यह भी एक बड़ा प्रश्न बन जाता है / इसलिए यहां यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि जो बात बोली जा रही हो उससे पहले खूब चिंतन तथा मनन कर लिया जाना चाहिए/ बात के दौरान निकलने वाले भाव अमर होते हैं जिन्हें बात के प्रस्तुतीकरण के पश्चात फिर कभी सुधारा नहीं जा सकता/ इसलिए एक ही अपील है कि कभी भी कोई भी बात बिना सार्थक सोच तथा बिना आधार के नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह बात ही है जो बात बना सकती है और बात को बिगाड़ भी सकती है /लेखक -✍️(अभिषेक धामा )