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विश्व साइकिल दिवस : 2025

साइकिल सरलता का एक प्रतीक है जिसने इंसानों को सफर का आनंद लेना सिखाया है ।

आज, 3 जून 2025 को दुनियाभर में विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य साइकिल के ढेरों फायदों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस साल की थीम (जो 2024 की थीम के समान और आज भी प्रासंगिक है) 'साइक्लिंग के माध्यम से अच्छे स्वास्थ्य, निष्पक्षता और स्थिरता को प्रोत्साहित करना'है।

भारत में साइकिल 19वीं सदी के अंत में, ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान आई थी। माना जाता है कि 1890 के दशक में, यूरोपीय ईसाई मिशनरियों, ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारियों और कुछ महिलाओं ने सबसे पहले भारत में साइकिल चलाना शुरू किया। शुरुआत में इसे सिर्फ मनोरंजन का साधन माना जाता था, लेकिन 1920 के दशक तक यह परिवहन का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय साधन बन गई। कलकत्ता और बम्बई जैसे बड़े शहरों में युवा, खासकर पारसी और उच्च जाति के बंगाली, इसे खेल और परिवहन दोनों के रूप में अपनाने लगे थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अप्रैल 2018 में तुर्कमेनिस्तान सरकार की पहल पर विश्व साइकिल दिवस मनाने की घोषणा की। इसका मुख्य लक्ष्य साइकिल को एक सरल, किफायती, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन के साधन के रूप में बढ़ावा देना है।

साइकिल चलाना सिर्फ़ एक परिवहन का साधन नहीं, बल्कि सेहत का खजाना भी है । यह हृदय को मजबूत बनाता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करता है।नियमित साइकिलिंग वजन घटाने और उसको संतुलित रखने में सहायक है।
यह मानसिक तनाव को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है।
पैरों और शरीर की अन्य मांसपेशियों को बल देता है।
गठिया जैसे जोड़ों के दर्द को कम करने में भी यह मददगार हो सकता है।

साइकिल एक शून्य-उत्सर्जन वाहन है, जिसका मतलब है कि यह हवा में कोई हानिकारक प्रदूषक नहीं छोड़ती। यह वायु प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारत चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिल बनाने वाला देश है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित साइकिलिंग के लिए बुनियादी ढांचे की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई जगहों पर साइकिल लेन का इस्तेमाल पार्किंग के लिए हो रहा है या उनका रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा है। इसके बावजूद, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण साइकिल चलाने का रुझान एक बार फिर बढ़ रहा है।

भारत सरकार और नीति आयोग द्वारा समर्थित 'साइकिल फॉर चेंज चैलेंज' जैसे कार्यक्रमों ने शहरों को साइकिल-अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। बेंगलुरु, पुणे, चेन्नई और सूरत जैसे शहर अब साइकिल-फ्रेंडली ज़ोन की ओर बढ़ रहे हैं।
दिल्ली में साइकिलिंग प्रदूषण कम करने और कई जिंदगियों को बचाने की क्षमता रखती है, लेकिन साइकिल लेन का सही इस्तेमाल न होना एक बड़ी समस्या है।

दिल्ली के लिए तैयार ड्राफ्ट मास्टर प्लान-2041 में भी दिल्ली को नॉन-मोटराइज्ड वाहनों के लिए सुरक्षित बनाने की बात कही गई है।

हालांकि आर्थिक उदारीकर के इस दौर में भारत में साइकल चलाना अपने आत्मसम्मान गिराने जैसा माना जाता है ।

कुल मिलाकर साइकल चलाना अपने प्रकृति और अपने स्वास्थ को स्वच्छ और मजबूत बनाना है ।

मनीष सिंह
@ManishSingh_PT
शाहपुर पटोरी

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