
कटंगपाली में फ्लाई ऐश घोटाला.... किसानों के खेत, शासकीय भूमि और नाले में मनमानी
प्रति टन ₹150 की दर से हुआ था सौदा, 1.5 लाख टन की जगह डाला गया 6 लाख टन से ज्यादा फ्लाई ऐश
खेतों के साथ शासकीय भूमि और नाले को भी किया बर्बाद
नियमों को ताक पर रख ट्रांसपोर्टरों और कंपनियों ने की खुलेआम लूट
सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के कटंगपाली अ गांव में फ्लाई ऐश डंपिंग को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जो सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है — इसमें पर्यावरणीय विनाश, शासकीय जमीन पर अतिक्रमण, और राजस्व विभाग की मिलीभगत के गंभीर संकेत हैं।
*6 लाख टन से अधिक फ्लाई ऐश डंप, स्वीकृति थी सिर्फ 1.5 लाख टन की*
गांव के किसानों और दस्तावेजों के अनुसार, फ्लाई ऐश डंपिंग का सौदा ₹150 प्रति टन की दर से किया गया था।अधिकारिक तौर पर 1.5 लाख टन की अनुमति दी गई थी, लेकिन 6 लाख टन से अधिक फ्लाई ऐश खेतों और आस-पास के क्षेत्र में डाला गया है।यह बात डंपिंग रजिस्टर की फोटो कॉपी से सिद्ध होती है, जिसमें लोडिंग-डाउनलोडिंग की पूरी जानकारी दर्ज है।
*शासकीय भूमि और नाले में भी डंपिंग, प्राकृतिक प्रवाह बदला गया*
केवल किसानों के खेत ही नहीं, शासकीय भूमि और नाले में भी फ्लाई ऐश डंप कर दिया गया है।
नाले को खुदाई कर उसकी दिशा बदल दी गई है, जिससे प्राकृतिक जल प्रवाह बाधित हुआ है।
इससे जलभराव और बाढ़ जैसी स्थितियाँ भविष्य में उत्पन्न हो सकती हैं।
*मुरुम डाला गया, मिट्टी नहीं — खेती अब असंभव*
फ्लाई ऐश डंपिंग के बाद, वादे के अनुसार खेतों को समतल कर 3 फीट मिट्टी डालनी थी, लेकिन इसके बजाय लाल मुरुम डाल दिया गया।
किसानों का आरोप है कि मुरुम से ज़मीन बंजर हो रही है और उस पर कोई फसल उगाना संभव नहीं है।
इससे उन्हें लाखों रुपये की आर्थिक हानि हो रही है।
*बिना अनुमति किसानों की ज़मीन में डंपिंग*
कई किसानों के अनुसार, बिना किसी लिखित सहमति या पूर्व सूचना के उनकी ज़मीनों में फ्लाई ऐश डंप कर दिया गया।
न तो कोई अनुबंध दिखाया गया, और न ही प्रक्रिया के दौरान किसी किसान से संवाद किया गया।
*फ्लाई ऐश डंपिंग से जुड़े नियम क्या कहते हैं?*
पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार: किसी भी भूमि पर फ्लाई ऐश डालने से पहले भूमि स्वामी की अनुमति आवश्यक है।
डंपिंग के बाद 3 फीट उपजाऊ मिट्टी डालना अनिवार्य है।सभी गतिविधियाँ स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण विभाग की निगरानी में होनी चाहिए।किसी भी प्रकार की डंपिंग जल निकासी मार्गों या शासकीय भूमि पर प्रतिबंधित है।
*राजस्व व पर्यावरण विभाग की भूमिका संदिग्ध*
राजस्व विभाग ने शासकीय भूमि पर डंपिंग के बावजूद कोई रोक नहीं लगाई।नाले की दिशा बदली गई लेकिन कोई मुआयना या रपट दर्ज नहीं हुई।
पर्यावरण विभाग की ओर से भी अब तक कोई कार्रवाई या निरीक्षण नहीं हुआ है।
*किसानों की माँग: कार्रवाई और मुआवजा*
किसानों ने मुआवजा, खेतों की पुनर्स्थापना और दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई की मांग की है।
नाले की पूर्व दिशा बहाल करने और प्राकृतिक जल प्रवाह की रक्षा की भी अपील की गई है।
साथ ही, फ्लाई ऐश डंपिंग की स्वतंत्र जांच समिति गठित करने की माँग की गई है।
*ये सिर्फ अवैध डंपिंग नहीं, बल्कि पर्यावरण और प्रशासनिक व्यवस्था पर हमला है*
कटंगपाली गांव में हुआ फ्लाई ऐश डंपिंग प्रकरण सिर्फ किसानों की ज़मीन हड़पने का मामला नहीं है।
यह दिखाता है कि कैसे नियमों, प्रकृति और जनहित की अनदेखी कर निजी कंपनियां लाभ कमाती हैं, और कैसे संबंधित विभाग या तो आंख मूंदे रहते हैं या सहभागी बन जाते हैं।
अब ज़रूरत है कि शासन और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई करें — नहीं तो यह प्रकरण राज्यभर में ऐसे अनगिनत घोटालों के लिए मिसाल बन जाएगा।