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असम में बाढ़ की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है, विशेषकर ऊपरी असम के जिलों—डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, लखीमपुर, धेमाजी और गोलाघाट इस प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।


राज्य आपदा प्रबंधन प्रणाली की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 22 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें 1,254 गांवों के लगभग 5.15 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। डिब्रूगढ़ जिले में मोरान, डिब्रूगढ़ ईस्ट, तिनसुकिया, नहरकटिया, तेंगाखट, चाबुआ और डिब्रूगढ़ वेस्ट सर्किल की 66 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे 20,179 लोग प्रभावित हैं और 1,602.78 हेक्टेयर कृषि भूमि डूब चुकी है। यहां 15 राहत शिविरों में 149 लोग शरण लिए हुए हैं, वहीं 12 राहत वितरण केंद्रों से 7,761 लोगों को सहायता मिल रही है। एसडीआरएफ और जल परिवहन विभाग ने 3 नावों और 27 मेडिकल टीमों को तैनात किया है, जबकि डिब्रूगढ़ ईस्ट से एक बच्चा लापता है। तिनसुकिया जिले में भी 19,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 406.67 हेक्टेयर फसल नष्ट हो चुकी है; 36 राहत शिविर और 29 मेडिकल टीमें राहत कार्य में लगी हैं, जिसमें सबसे बुरी तरह मार्घेरिटा क्षेत्र प्रभावित हुआ है। लखीमपुर जिले में अब तक 47,127 लोग विस्थापित हो चुके हैं और 319 हेक्टेयर खेती जलमग्न है; यहां 22 राहत शिविर और 19 वितरण केंद्र सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त धेमाजी में सिस्सीबोर्गाओ क्षेत्र में 8,200 से अधिक लोग और गोलाघाट जिले में 13,448 लोग तथा 726 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है। ब्रह्मपुत्र नदी नीमाटीघाट और तेजपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, साथ ही उसकी सहायक नदियां—सुबनसिरी, बुरीदिहिंग, धनसिरी और कोपिली—भी खतरनाक स्तर पर हैं। होजई जिले में एक बाढ़ से जुड़ी मौत की पुष्टि हुई है, जबकि डिब्रूगढ़ और हैलाकांडी से एक-एक व्यक्ति लापता हैं। सरकार ने राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है, नदी जलस्तर और मौसम की स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है, और संवेदनशील क्षेत्रों के नागरिकों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है।

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