2 जून 2025 : "दो जून की रोटी
बहुत मुश्किल जुटाना है, यहाँ _दो जून की रोटी_.
"2 जून की रोटी" सिर्फ तारीख नहीं, जिंदगी की हकीकत बयां करती है, कहते हैं नसीब वालों को मिलती है "2 जून की रोटी"।
जून अवधि भाषा का शब्द है , जिसका मतलब है वक्त , पहर , समय। इस जून का माह जून से कोई संबंध नहीं है। "दो जून की रोटी" मुहावरा कहा जाता है , छह सौ सालों से अधिक से प्रचलित है। जिन्हें दो जून की रोटी अगर मिल रही हैं, वे भाग्यवान हैं। कई बार मेहनत करने के बाद भी "दो जून की रोटी" नसीब नहीं हो पाती।
कुछ लोगों का मानना है यह "दो जन को रोटी" था। जन का अर्थ लोग, फिर यह जन समय के साथ जून हो गया। बुजुर्ग कहा करते थे बेटा बड़ी बड़ी बातें करने से कुछ नहीं होता , जा पहले दो जन को रोटी तो जुटा ले !
भारत कृषि पर निर्भर देश रहा है।जून के माह में चारा पानी की कमी हो जाती है , अतः इस माह में दो समय का खाना"दो जून की रोटी" मिलना भी मुश्किल होता था। अतः इसे जून के माह से जोड़ दिया गया।
रोटी कमाना जितना महत्वपूर्ण है , उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है अपनों के साथ बैठकर खाना।