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दिवालिया हुए कंपनी का खमियाजा भुगतते हैं निर्दोष एजेंट |

किसी भी कंपनी या फर्म के दिवालिया होने या अचानक बंद हो जाने की स्थिति में सबसे ज्यादा मुश्किल में वे लोग आते हैं जिनका इसमें कोई सीधा कसूर नहीं होता है वो हैं कंपनी के एजेंट ।

ये वे लोग होते हैं जो ग्राहकों से सीधे जुड़ते हैं, कंपनी के उत्पादों और सेवाओं का प्रचार करते हैं, और अपनी मेहनत से व्यापार बढ़ाते हैं। लेकिन जब कंपनी डूबती है, तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा अक्सर इन्हीं एजेंटों को भुगतना पड़ता है।

कंपनी के दिवालिया होने या भाग जाने के बाद, एजेंटों को ग्राहकों के अविश्वास और गुस्से का सामना करना पड़ता है। ग्राहकों को लगता है कि एजेंट ने उनसे झूठ बोला या उन्हें धोखा दिया, जबकि सच्चाई ये होती है कि एजेंट खुद कंपनी के भीतर की स्थिति से अनजान होता है। उसे भी कंपनी पर उतना ही भरोसा होता है जितना ग्राहकों को। ऐसे में, एजेंट को ग्राहकों की गालियां, धमकियां और अपमान सहना पड़ता है। कई बार तो उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर कानूनी कार्यवाही की धमकी भी दी जाती है । कभी कभी तो पुलिस प्रशाशन द्वारा भी मनमाने तरीके से उनको धमकाया जाता है या थाने में रखा जाता है |
हलांकि जैसे ही दिवालियापन की कार्यवाही शुरू होती है और NCLT द्वारा स्थगन आदेश जारी किया जाता है , कम्पनी के खिलाफ सभी ऋण वसूली की कार्यवाही तुरंत रोक दी जाती है | इसका मतलब है की लेनदार या उनके और से कोई भी , जिसमें पुलिस भी शामिल हो सकती है , कंपनी या उसके एजेंटों पर सीधे ऋण चुकाने के लिय दवाव नहीं बना सकता है | यदि कोई एजेंट केवल इसलिये पुलिस के दवाव का समाना कर रहा है क्युकी कम्पनी दिवालिया हो गई है और वह ऋण चुकाने में असमर्थ है , तो यह कानूनी रूप से अनुचित हो सकता है , दिवालियापन एक कानूनी प्रक्रिया है , और इसमें किसी व्यत्क्ति को केवल "दिवालिया" होने के लिय प्रताडित नहीं किया जा सकता | दिवालिया कम्पनी के एजेंटों को कानूनी सलाह लेने और अपना वचाव करने का पूरा अधिकार है यदि उन्हें लगता है की पुलिस द्वारा अनुचित व्यवहार किया जा रहा है तो वकील के माध्यम से NCLT या उच्च न्य्य्यालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं |
भारत में भारतीय दिवाला और शोधन और अक्षमता बोर्ड (Insolvency and bankruptcy board of india-IBBI ) भारत में दिवाला प्रक्रियाओं का नियामक है यह दिवाला पेशेवरों और सम्बंधित प्रक्रियाओं का देख रेख करता है | यदि दिवाला प्रक्रिया में कोई अनुचित व्यवहार होता है , तो IBBI से संपर्क किया जा सकता है |

भारत में दिवालियापन कानून (IBC) उद्देश्य एक निष्पक्ष और पारदर्शी परक्रिया सुनिश्चित करना है | यदि पुलिस द्वारा दिवालिया कम्पनी के एजेंटों पर "जबरन दवाव" बनाया जाता है जो आपराधिक गतिविधि से सम्बंधित नहीं है , तो यह क़ानून का दुरुपोग हो सकता है , और एजेंटों के पास अपनी सुरक्षा के लिय कानूनी रास्ते मौजूद हैं |

मनीष सिंह
@ManishSingh_PT
शाहपुर पटोरी

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1 comment  
  • Vijay Kumar Sharma

    Right ye satya hai