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न रात को नींद,न दिन तो चैन,उमस और गर्मी से महसूस हो रही घुटन


भाटपार रानी देवरिया। चढ़ते पारे और मौसम की बेरुखी ने पिछले चार दिन से इस कदर जीव जन्तुओं को हलकान कर दिया है कि निकलते सूरज से बढ़ती बेचैनी और गुमसुम मौसम से तड़फड़ाहट जीना हराम कर दिया है।सब लोग दिनभर इस कदर बेचैन और परेशान नजर आ रहे हैं जैसे मछली को पानी से बाहर कर दिया हो। मौसम के बेवफा मिजाज ने रातों की नींद हराम कर दिया है। सबसे बुरी स्थिति तंग गलियों और घरों में कैद लोगों की है जिनको स्वछंद मुक्त मैदान नहीं मिलता है। घरों में रहने वाली महिलाएं और बच्चे बिलबिलाते नजर आ रहे हैं,क्योंकि बहुतायत लोगों के यहां मुकम्मल सुविधाओं का अभाव है।
लोगों के अनुसार न तो दिन में चैन सुकून मिल रहा है और ना ही तो रातों को नींद। पंखों से भी आग की लहरें ही निकल रही हैं,जो बेचैनी को शांत करने की बजाय जले पर नमक साबित हो रहा है। मौसम की बेरुखी के पीछे का मूल कारण पर्यावरण के साथ छेड़छाड़,वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और कई वर्षों से बारिश न होना है।
भौतिकता की अंधी दौड़ ने खूब तरक्की तो कर ली है,पर सुकून के लिए प्रकृति की छांव ढूंढने को मजबूर हैं।
*डाक्टरों की सलाह*
1-दिन में यात्रा करने से बचें,
2-आवश्यक होने पर गमछा और छाता लेकर निकले !
3-अधिक से अधिक पानी और पेय पदार्थ का सेवन करें।
4-तबियत खराब महसूस होने पर तुरंत अस्पताल जाएं और डाक्टर को दिखाएं।
5-सावधानी ही सर्वोत्तम बचाव है।

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