ग़ज़ल - आज विश्व में जब भारत के ताक़त की झनकार है .................
आज विश्व में जब भारत के ताक़त की झनकार है |
तब जो भी दुश्मन की भाषा बोल रहा गद्दार है ||
जो भारत के मित्रों के हैं शत्रु.........हमारे शत्रु हैं,
उनसे जिनको हमदर्दी है वो दुश्मन का यार है ||
दुश्मन के संग हमको उनके हमदर्दों से लड़ना है,
राष्ट्र-वादियों के हर दिल की, हाँ अब यही पुकार है ||
घुन बनकर कर रहे खोखला जो मेरे इस देश को,
आस्तीन के इन साँपों का आवश्यक उपचार है ||
अपराधी-आतंकी-दुश्मन और उनके हर मित्र का,
राम-राज्य के लिए आज फिर आवश्यक संहार है ||
जो हम सब के बीच भेड़िये छिपे भेड़ की खाल में,
बाहर के दुश्मन से ज्यादा घातक उसका वार है ||
भारत जब फिर आज पुराना गौरव वापस पा रहा,
हर एक दुश्मन बाधाओं के बिछा रहा अंगार है ||
साँप-सँपोले बिल से बाहर परेशान हो निकल रहे,
क्योंकि भारत का ताक़तवर होना इनकी हार है ||
चिन्हित करके इनका करना होगा हमें विनाश अब,
जिनकी आँखों का काँटा यह नवयुग नई - बयार है ||
राष्ट्रवाद का ध्वज लेकर फिर दो नारा - हम एक हैं,
भारत ये केवल उनका है जिनको इससे प्यार है ||
रचनाकार - अभय दीपराज
संपर्क सूत्र - 9893101237