
अनंत ब्राह्मण न्यूज़ ब्यूरो आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन परिवार की पूरी टीम की ओर से सभी देशवासियों हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं आदरणीय अंकल जी राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित श्री महेश शर्मा जी एवं अनंत ब्राह्मण न्यूज़ ब्यूरो के पंडित श्री संजय पांडे जी एवं समस्त पदाधिकारी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं हिंदी पत्रकार दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास लगभग दो शताब्दियों पुराना है, जिसकी
अनंत ब्राह्मण न्यूज़ ब्यूरो आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन परिवार की पूरी टीम की ओर से सभी देशवासियों हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं आदरणीय अंकल जी राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित श्री महेश शर्मा जी एवं अनंत ब्राह्मण न्यूज़ ब्यूरो के पंडित श्री संजय पांडे जी एवं समस्त पदाधिकारी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं हिंदी पत्रकार दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास लगभग दो शताब्दियों पुराना है, जिसकी शुरुआत 1826 में कोलकाता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा प्रकाशित "उदंत मार्तण्ड" के साथ हुई. "उदंत मार्तण्ड" को हिन्दी पत्रकारिता का पहला समाचार पत्र माना जाता है.
शुरुआती दौर:
"उदंत मार्तण्ड" (1826):
यह पहला हिन्दी समाचार पत्र था, जो कोलकाता से साप्ताहिक रूप में प्रकाशित हुआ.
"बनारस अखबार" (1845):
यह बनारस से प्रकाशित हुआ और अपनी भाषा शैली के लिए जाना जाता था.
"सुधाकर" (1850):
काशी से प्रकाशित हुआ, जो "बनारस अखबार" की भाषा नीति के विरोध में शुरू किया गया था.
"प्रजाहितैषी" (1855):
आगरा से प्रकाशित हुआ, जो एक और महत्वपूर्ण प्रारंभिक पत्र था.
"कवि वचनसुधा" (1868):
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित एक साहित्यिक पत्रिका थी, जो हिंदी पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण योगदान था.
19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी:
स्वतंत्रता संग्राम:
"प्रताप" और "वीर भारत" जैसे समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
साहित्यिक पत्र:
"सरस्वती" और "हरीशचंद्र पत्रिका" जैसे साहित्यिक पत्रिकाओं ने हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में योगदान दिया.
स्वतंत्रता के बाद:
दैनिक समाचार पत्र:
"दैनिक जागरण", "अमर उजाला" और "दैनिक भास्कर" जैसे समाचार पत्र हिंदी भाषी क्षेत्रों में लोकप्रिय हुए.
पत्रिकाओं का विकास:
विविध विषयों पर पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ, जो हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में सहायक थे.